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तार फेंसिग न होने से जंगल से बाहर आ रहे बाघ

वन्यजीवों को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए शासन ने जनपद के जंगल को टाइगर रिजर्व तो बना दिया। टाइगर रिजर्व के तहत जो सुविधाएं जनपद के जंगल को मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही हैं। जंगल के किनारे पर तार फेंसिग जैसी महत्वपूर्ण योजना भी पूरी तरह से परवान नहीं चढ़ सकी है। इससे मानव और वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में इजाफा हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 11:14 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 11:14 PM (IST)
तार फेंसिग न होने से जंगल से बाहर आ रहे बाघ
तार फेंसिग न होने से जंगल से बाहर आ रहे बाघ

पीलीभीत,जेएनएन : वन्यजीवों को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए शासन ने जनपद के जंगल को टाइगर रिजर्व तो बना दिया। टाइगर रिजर्व के तहत जो सुविधाएं जनपद के जंगल को मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही हैं। जंगल के किनारे पर तार फेंसिग जैसी महत्वपूर्ण योजना भी पूरी तरह से परवान नहीं चढ़ सकी है। इससे मानव और वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में इजाफा हो रहा है। बीते वर्ष एक बाघिन और ग्रामीणों में संघर्ष हो गया था। दोनों तरफ से हुए हमले में बाघिन व एक ग्रामीण की मौत भी हो गई थी। हरदोई ब्रांच नहर बाघों के लिए कब्रगाह साबित हो रही है। नहर में बाघ के अलावा अन्य कई वन्यजीवों के शव बरामद किए जा चुके हैं। इसको लेकर पशु प्रेमियों में निराशा है।

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जनपद के जंगल टाइगर रिजर्व चयनित तो कर लिए गए लेकिन तार फेंसिग जैसी महत्वपूर्ण सुविधा विभाग द्वारा अभी तक नहीं की गई हैं। इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। यह आवश्यक है। इस पर विभाग ध्यान दें।

जसविदर सिंह

छह माह पूर्व हरदोई ब्रांच नहर में बाघ का शव मिला था। बाघ कहां का था इसकी अभी तक जांच और खुलासा नहीं हो पाया। बाघों की मौत के पीछे बड़ा षड्यंत्र है। इसकी निष्पक्ष तरीके से जांच आवश्यक है।

लखबिदर सिंह

इससे पहले भी हरदोई ब्रांच नहर में मृत बाघ के शव देखे गए हैं। विभाग की लापरवाही ही मानी जाएगी की हरदोई ब्रांच नहर में शव कैसे आ रहे हैं। इसकी सही तरीके से जांच की जानी चाहिए।

वीरू यादव

कुछ माह पहले एक बाघ ने आबादी में घुसकर मुझे व पड़ोसी को घायल कर दिया था। अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। तार फेंसिग होने से वन्यजीवों को रोका जा सकता है।

अनंतदेव

शासन की महत्वाकांक्षी योजना पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बेहतर सुविधाएं नहीं है। वन्यजीवों की असमय मौत हो रही है। यह चिता का विषय है। अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।

राजकुमार शुक्ल


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