नए पर्यटन स्थल नहीं हो सके विकसित
तराई के जिले में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं। हालांकि अभी तक सिर्फ पीलीभीत टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाले चूका स्पॉट को ही पर्यटन के लिए विकसित किया जा सका है।
पीलीभीत : तराई के जिले में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं। हालांकि अभी तक सिर्फ पीलीभीत टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाले चूका स्पॉट को ही पर्यटन के लिए विकसित किया जा सका है। गोमती उद्गम स्थल को धार्मिक पर्यटन के तौर पर विकसित करने का निर्णय तो लिया गया, लेकिन अभी तक वहां उसके अनुरूप व्यवस्थाएं नहीं हो सकी हैं। जिला में कई ऐसे स्थान हैं जो पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
पिछले साल यहां से बसे प्राचीन यशवंतरी देवी मंदिर और उससे सटे सरोवर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने के लिए प्रयास शुरू हुए थे। पर्यटन विकास निगम के दो अधिकारियों ने यहां पहुंचकर प्रारंभिक सर्वे भी किया लेकिन बात उससे आगे नहीं बढ़ सकी। गोमती नदी की धारा को अविरल बनाने के अभियान के दौरान उसके उद्गम स्थल को विकसित करते धार्मिक पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा की गई थी। गोमती उद्गम स्थल पर इसके लिए कुछ कार्य भी कराए गए। पहले की अपेक्षा नजारा कुछ बदल जरूर गया लेकिन बाद में वहां विकास कार्य थम गए। इसी तरह पीलीभीत टाइगर रिजर्व में सिर्फ चूका स्पॉट पर ही अधिकारियों का ध्यान केंद्रित रहा। जंगल के अंदर ही सात झाल स्थल को भी पर्यटन के लिए विकसित किए जाने की योजना तो बनी लेकिन उस पर काम नहीं हुआ। टाइगर रिजर्व के अंतर्गत ही आने वाले माला रेंज के जंगल को भी पर्यटन स्थल बनाने और पर्यटकों को लुभाने के लिए कर्नाटक से कई हाथी मंगाए गए जो अभी तक दुधवा में रखे गए हैं। कहा गया कि वे हाथी कन्नड़ भाषा ही समझते हैं। उन्हें हिन्दी सीखने में समय लगेगा। दियोरिया क्षेत्र में इलाबांस में प्राचीन मंदिर है। यह स्थल पुरातत्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन जनप्रतिनिधियों ने इस ओर कभी तवज्जो ही नहीं दी। यहां खेतों व टीलों की खोदाई में प्राचीन मूर्तियां मिल चुकी है। पिछले दिनों एक प्राचीन मूर्ति चोरी भी हो गई, जिसे अब तक बरामद नहीं किया जा सका है। पूरनपुर क्षेत्र में बाइफरकेशन और इकोत्तर नाथ मंदिर भी पर्यटन की ²ष्टि से महत्वपूर्ण है परंतु जिम्मेदार लोगों ने ध्यान नहीं दिया। इस जिले में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं। पर्यटन से रोजगार के अवसर भी बढ़ सकते हैं। साथ ही जिले को पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान मिल सकती है। चुनावों के दौरान जिले में पर्यटन स्थलों के विकास की सिर्फ बातें होती हैं। बाद में कोई भी ध्यान नहीं देता। शहर में दिल्ली की तर्ज पर कई सौ साल पहले बनी शाही जामा मस्जिद और प्राचीन गौरीशंकर मंदिर की अपनी अलग पहचान है।