2.18 करोड़ ठिकाने लगाने की साजिश नाकाम
खुले में शौच से मुक्ति के लिए आमजन को जागरूक करने की योजना में भ्रष्टाचार ने घुस गया है।
पीलीभीत : खुले में शौच से मुक्ति के लिए आमजन को जागरूक करने की योजना में भ्रष्टाचार ने घुसपैठ कर डाली। सरकारी तंत्र की नाक के नीचे दो निजी फर्मो ने 2.18 करोड़ रुपये ठिकाने लगाने के लिए नाटकों का 'नाटक' रच डाला। ग्रामीणों को जागरूक करने को गांव-गांव में नुक्कड़ नाटक किए जाने थे, लेकिन संस्थाएं कागजों पर ही भ्रमण व कार्यक्रम दर्शाती रहीं। हाल ही में भौतिक सत्यापन से सारा खेल उजागर हो गया। डीपीआरओ की रिपोर्ट के बाद उपनिदेशक पंचायत ने प्रथम किस्त के 68 लाख का भुगतान रोक दिया और तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी।
सूत्रों के मुताबिक स्वच्छ भारत मिशन के तहत जागरूकता कार्यक्रमों के लिए दिसंबर 2018 में जिले को दो करोड़ 18 लाख रुपये का बजट मिला था। विभाग ने टेंडर प्रक्रिया के जरिए संस्थाएं आमंत्रित कीं। निविदा में कम बोली और शर्तो में उपयुक्त होने पर लखनऊ की फ्यूजनटेक और इन्नोवेडर संस्था चुनी गई। पहले चरण में तीस फीसद बजट (करीब 68 लाख) से कार्यक्रम होने थे। जनवरी ने संस्थाओं ने गांव और तिथिवार अपना पूरा शेड्यूल दिया। जनवरी के अंत में संस्था ने रोस्टर पेश कर भुगतान की मांग की।
फीडबैक से खुली पोल
जिला पंचायत राज अधिकारी ने कार्यक्रमों और ग्रामीणों पर उनके प्रभाव की जानकारी को सत्यापन कराया तो दूसरी सच्चाई उजागर हुई। पता चला जिन गांवों का रोस्टर दिया, उनमें तो न कोई संस्था पहुंची और न नाटक आयोजन हुए। डीपीआरओ ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा तो संस्थाओं ने दलीलें तो दीं, लेकिन आयोजन होने की पुष्टि नहीं कर सके। डीपीआरओ ने फाइल उच्च अधिकारियों को भेज दी। तब बरेली में उपनिदेशक पंचायत ने भी एक्शन लिया और भुगतान रोकने के निर्देश दिए।
जागरूकता कार्यक्रमों के लिए दो संस्थाओं को काम सौंपे गए थे। किसी संस्था ने कोई कार्य नहीं किया। फर्जी तरीके से कागजों में ही आयोजन होना दर्शाया गया। मामले में डीएम के स्तर से जांच कमेटी गठित की गई है।
- प्रमोद कुमार यादव, डीपीआरओ
पीलीभीत से फाइल मेरे पास आयी थी। इसमें संस्था द्वारा कोई कार्य नहीं करने का उल्लेख था। इसी आधार पर उन्हें भुगतान नहीं किये जाने का निर्देश दिया गया है। साथ ही किसी दूसरी संस्था से कार्य कराने के लिए कहा है।
- अभय कुमार शाही, उपनिदेशक पंचायत