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गन्ना समिति के मोहन अध्यक्ष और सतेन्द्र सिंह बने उपाध्यक्ष

बुधवार को सहकारी गन्ना विकास समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ बुलाई गई बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पास हो गया। कोरम पूरा होने से सर्वसम्मति से संचालक मंडल ने मोहन सिंह को अध्यक्ष और सत्येंद्र सिंह को उपाध्यक्ष चुना। नए पदाधिकारियों का लोगों ने फूल मालाएं पहनाकर स्वागत किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 10:58 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 10:58 PM (IST)
गन्ना समिति के मोहन अध्यक्ष  और सतेन्द्र सिंह बने उपाध्यक्ष
गन्ना समिति के मोहन अध्यक्ष और सतेन्द्र सिंह बने उपाध्यक्ष

पूरनपुर (पीलीभीत) : बुधवार को सहकारी गन्ना विकास समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ बुलाई गई बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पास हो गया। कोरम पूरा होने से सर्वसम्मति से संचालक मंडल ने मोहन सिंह को अध्यक्ष और सत्येंद्र सिंह को उपाध्यक्ष चुना। नए पदाधिकारियों का लोगों ने फूल मालाएं पहनाकर स्वागत किया।

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गन्ना समिति के संचालक मंडल के सदस्य हरप्रसाद, मोहन सिंह, उषा देवी, ढाकनलाल, हरदेव सिंह, गिरधारी लाल, सुरेंद्र सिंह और नामित सदस्य संजीव दीक्षित ने अध्यक्ष श्रीकांत सिंह और उपाध्यक्ष स्वदेश सिंह के खिलाफ 24 फरवरी को अविश्वास प्रस्ताव लाने को जिलाधिकारी को शपथ पत्र दिए थे। सदस्यों ने इस पर मतदान कराने की भी अपील की थी। जिलाधिकारी ने एसडीएम न्यायिक पीलीभीत हरिओम शर्मा को अविश्वास प्रस्ताव के लिए नामित किया था। उन्होंने बैठक कर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने को कहा था। बुधवार को गन्ना समिति मैं बैठक आयोजित हुई। इसमें आधे से अधिक संचालक मंडल के सदस्य पहुंचे। इससे बैठक का कोरम पूरा हो गया। बैठक में शामिल संचालक मंडल के सदस्यों ने इस दौरान अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के नामों का प्रस्ताव किया। संचालकों की सहमति पर मोहन सिंह को अध्यक्ष और सत्येंद्र सिंह को उपाध्यक्ष चुन लिया गया। बैठक में श्रीकांत सिंह और उपाध्यक्ष सुदेश सिंह के अलावा संचालक मंडल के चेतराम और सरला देवी मौजूद नहीं रहे। एसडीएम न्यायिक हरिओम शर्मा ने बताया कि नियमानुसार कोरम पूरा हो जाने पर दोनों पदों पर अविश्वास प्रस्ताव हो गया है। मोहन सिंह को अध्यक्ष और सत्येंद्र सिंह को उपाध्यक्ष चुना गया है। उधर श्रीकांत सिंह ने बताया कि इस मामले में उन्होंने सुनवाई के लिए रिट दायर की है। अवकाश के चलते 25 को सुनवाई लगी है। इसकी जानकारी डीएम को पत्र भेजकर भी दी जा चुकी है। अगर बैठक हुई है तो यह पूरी तरह से अवैध है। न्यायालय के आदेश की अवहेलना भी है।


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