नहर किनारे झाड़ियों में फंसा रहा बाघ
अमरिया (पीलीभीत) जंगल से बाहर घूम रहे बाघों में से एक नहर किनारे झाड़ियों में फंस गया।
अमरिया (पीलीभीत) : जंगल से बाहर घूम रहे बाघों में से एक नहर किनारे झाड़ियों में फंस गया। काफी देकर तक बाघ झाड़ियों से निकलने को छटपटाता रहा। इस दौरान उधर से गुजर रहे लोग झाड़ियों में बाघ देखकर ठिठक गए। सूचना पर जब तक वन विभाग के अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंची, तब तक बाघ निकलकर निकट के गन्ने के खेत में चला गया। इसके बाद अधिकारियों ने बाघ की मॉनीटरिग के लिए टीम तैनात दी है।
तहसील क्षेत्र में लंबे समय से बाघों का कुनबा रह रहा है। ये बाघ जंगल की ओर नहीं जाते बल्कि खेतों में ही शिकार की तलाश करते रहते हैं। लगभग एक दशक होने जा रहा लेकिन इस इलाकों के बाघ इंसानों पर कभी हमलावर नहीं हुए। मंगलवार को सुबह इन्हीं बाघों में से एक बाघ ड्यूनीडाम से आगे निकली डीबी फीडर नहर की पटरी के किनारे शुक्ला फार्म के पास झाड़ियों में लगे तार फंस गया। वह काफी देर तक झाड़ियों से निकलने के लिए इधर-उधर पंजे मारता रहा। नहर की दूसरी पटरी पर अमरिया मझोला मार्ग पर गुजरने वाले लोगों ने बाघ को देखा घबरा गए। राहगीरों ने बाघ की सूचना वनकर्मियो को दी। इसके बाद टाइगर रिजर्व से फील्ड डायरेक्टर डॉ. एच. राजामोहन, डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल, सामाजिक वानिकी के प्रभागीय निदेशक संजीव कुमार, रेंजर सतेंद्र कुमार चौधरी, डिप्टी रेंजर देवेंद्र पाल समेत अन्य स्टाफ के लोग मौके पर पहुंच गए। बाघ की जानकारी जुटाई गई। वन कर्मियों ने टैक्टर से कांबिग करते हुए आस पास के खेतों में व नाव पर सवार होकर बाघ को काफी समय तक तलाश किया। ड्रोन कैमरे भी उड़ाए लेकिन बारिश के चलते बाघ की लोकेशन नहीं मिल सकी। ऐसे में संभावना जताई गई कि बाघ जैसे तैसे झाड़ियों से निकलकर आसपास गन्ने के किसी खेत में छिप गया है। हालांकि तार में फंसने से घायल होने के शक में बाघ को काफी देर तक तलाश किया जाता रहा। बाघ की निगरानी के लिए दस कैमरे लगाए गए हैं। साथ ही एक टीम की वहां ड्यूटी भी लगा दी गई है। वाचर द्वारा सुबह ड्यूनीडाम के पास डीबी फीडर नहर पटरी किनारे झाड़ियों में बाघ के फंसे होने की सूचना मिली थी। मौके पर पहुंचने से पहले ही बाघ झाड़ियों से निकल कर गन्ने के खेतों में चला गया। बाघ की निगरानी के लिए टीम गठित कर दी गई है। बाघ की निगरानी के लिए दस कैमरे लगाने के निर्देश दिए गए हैं।
-डॉ. एच. राजा मोहन, फील्ड डायरेक्टर, पीटीआर