निजी स्कूल छोड़ परिषदीय विद्यालयों में दिलाए प्रवेश
पीलीभीतजेएनएन सरकारी स्कूलों में शिक्षण का स्तर सुधरा तो अभिभावक आकर्षित होने लगे। बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन चल रहे कई ऐसे विद्यालय हैं जहां अभिभावकों ने बच्चों को निजी स्कूलों से हटाकर उनमें प्रवेश दिलाए हैं। इनमें से ज्यादातर अभिभावकों का कहना है कि अब सरकारी स्कूल पहले जैसे नहीं रहे। अच्छी पढ़ाई हो रही है और खर्च भी ज्यादा नहीं आता। निजी स्कूलों में फीस काफी अधिक है इसीलिए अपने बच्चों को वहां से हटाकर परिषदीय स्कूल में प्रवेश दिलाया है।
पीलीभीत,जेएनएन : सरकारी स्कूलों में शिक्षण का स्तर सुधरा तो अभिभावक आकर्षित होने लगे। बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन चल रहे कई ऐसे विद्यालय हैं, जहां अभिभावकों ने बच्चों को निजी स्कूलों से हटाकर उनमें प्रवेश दिलाए हैं। इनमें से ज्यादातर अभिभावकों का कहना है कि अब सरकारी स्कूल पहले जैसे नहीं रहे। अच्छी पढ़ाई हो रही है और खर्च भी ज्यादा नहीं आता। निजी स्कूलों में फीस काफी अधिक है, इसीलिए अपने बच्चों को वहां से हटाकर परिषदीय स्कूल में प्रवेश दिलाया है। कई ऐसे अभिभावक भी हैं जो कहते हैं कि कोरोना संक्रमणकाल में उनकी आमदनी काफी कम हो गई। इसलिए निजी स्कूल का खर्च वहन करने की स्थिति में न होने के कारण उन्हें अपने बच्चे का दाखिला सरकारी स्कूल में कराना पड़ा।
बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी विद्यालय अब पहले जैसे नहीं रहे। नई पीढ़ी के शिक्षकों ने न सिर्फ बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता में काफी सुधार किया बल्कि स्कूल का माहौल भी आकर्षक बनाने के प्रयास किए हैं। शहर से सटे गांव बरहा में संचालित उच्च प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका ममता गंगवार के अनुसार इस सत्र में उनके यहां 56 ऐसे बच्चों ने प्रवेश लिया है, जो इससे पहले निजी स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे। इसका कारण स्पष्ट करते हुए बताया कि उनका परिषदीय विद्यालय भी अंग्रेजी माध्यम हो गया है, इसीलिए बच्चों के अभिभावकों को लगा कि निजी स्कूल में खर्च काफी अधिक है जबकि परिषदीय विद्यालय में कोई खर्च नहीं बल्कि दोपहर भोजन से लेकर पाठ्य पुस्तकें, स्कूल यूनिफार्म आदि निश्शुल्क मिल जाती हैं। बीसलपुर रोड पर स्थित गांव रूपपुर कमालू के प्राथमिक विद्यालय में निजी स्कूलों को छोड़कर 75 बच्चों ने वहां प्रवेश लिया है। गांव में दो निजी स्कूल संचालित हो रहे थे। एक बंद हो गया और दूसरे में सिर्फ 10-12 बच्चे शेष रह गए हैं। प्रधानाध्यापिका अनीता गंगवार कहती हैं कि अच्छी पढ़ाई होने के कारण इन बच्चों के अभिभावक प्रभावित हुए और उन्होंने अपने बच्चों को निजी स्कूल से हटा लिया। इसी तरह से ग्राम चिड़ियादाह के परिषदीय प्राथमिक विद्यालय में 65 बच्चे निजी स्कूल छोड़कर आए हैं। यहां के बच्चों की बेहतर शैक्षिक गुणवत्ता और निजी स्कूलों से बच्चों के प्रवेश वहां होने पर पिछले दिनों जिलाधिकारी पुलकित खरे शिक्षकों को सम्मानित कर चुके। अमरिया क्षेत्र के गांव परेवा वैश्य के प्राथमिक विद्यालय में 72 बच्चे ऐसे हैं, जो पहले निजी स्कूलों में पढ़ते रहे हैं। फोटो-7पीआइएलपी-19
इस स्कूल में एडमीशन लेने के बाद बहुत अच्छा लग रहा है। पहले जिस स्कूल में पढ़ते थे, वहां किताबें, बस्ता आदि खरीदना होता था लेकिन यहां किताबें मुफ्त मिल गईं। यूनिफार्म भी मिलने की बात कही जा रही है। स्कूल का माहौल काफी अच्छा है।
विधि मिश्रा फोटो-7पीआइएलपी-20
पहले शहर के प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जाते थे लेकिन अब अपने गांव के ही स्कूल में प्रवेश ले लिया है। यहां बहुत अच्छी पढ़ाई हो रही है। इस स्कूल में भी अंग्रेजी माध्यम से ही पढ़ाई होती है। पापा ने एडमीशन करा दिया।
ईशांकी अभिभावक बोले
सरकारी स्कूल में अब अच्छी पढ़ाई
गांव रूपपुर कमालू निवासी अभिभावक बंटू यादव कहते हैं कि पहले अपने बच्चे को शहर के निजी स्कूल में भेजते थे,लेकिन जब देखा कि गांव में ही सरकारी स्कूल में अच्छी पढ़ाई हो रही, तो यहां दाखिला करा दिया। यहां कुछ खर्च भी नहीं करना पड़ा। रूपपुर कमालू गांव के ही अभिभावक धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि अब सरकारी स्कूल पहले जैसे नहीं रहे। इन स्कूलों का माहौल और पढ़ाई का तौर तरीका पूरी तरह आधुनिक हो चुका है। ऐसे में निजी स्कूल की महंगी शिक्षा अखरने लगी, इसीलिए अपने बच्चे का दाखिला तीसरी कक्षा में कराया है। इनसेट
परिषदीय विद्यालयों के बारे में अभिभावकों की अब अच्छी धारणा बनी है। यह इस बात का प्रमाण है कि अनेक अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों के हटाकर परिषदीय विद्यालयों में प्रवेश दिला चुके हैं।
चंद्रकेश सिंह, बीएसए