Move to Jagran APP

यातायात सुरक्षा में संसाधन और इच्छाशक्ति का अभाव

यातायात नियमों का पालन कराने और उल्लंघन रोकने के लिए परिवहन विभाग के पास संसाधनों की भारी कमी है। ट्रैफिक पुलिस का हाल यह है कि संसाधन होते हुए भी उनका बेहतर ढंग से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। संसाधनों के साथ ही कहीं न कहीं इच्छाशक्ति की कमी दिखाई देती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 11:45 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 11:45 PM (IST)
यातायात सुरक्षा में संसाधन और इच्छाशक्ति का अभाव
यातायात सुरक्षा में संसाधन और इच्छाशक्ति का अभाव

पीलीभीत,जेएनएन : यातायात नियमों का पालन कराने और उल्लंघन रोकने के लिए परिवहन विभाग के पास संसाधनों की भारी कमी है। ट्रैफिक पुलिस का हाल यह है कि संसाधन होते हुए भी उनका बेहतर ढंग से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। संसाधनों के साथ ही कहीं न कहीं इच्छाशक्ति की कमी दिखाई देती है। काम में लापरवाही और भ्रष्टाचार ने भी इस समस्या को बढ़ाने का काम किया है।

loksabha election banner

शहर के प्रमुख चौराहों पर अक्सर देखा जा सकता है कि ट्रैफिक पुलिस के कांस्टेबिल खड़े होकर आपस में बातों में मशगूल रहते हैं तो इस दौरान यातायात नियमों का मखौल उड़ाते हुए वाहन चालक निकल जाते हैं। दुपहिया वाहनों को चेकिग अभियान में ही रोका जाता है। वैसे बगैर हेलमेट के बाइक पर लोग फर्राटा भरते रहते हैं। इसे लेकर कोई रोक टोक नहीं होती। टनकपुर रोड स्थित गौहनिया चौराहा पर ट्रैफिक पुलिस के सिपाही व होमगार्ड पूरे दिन मौजूद रहते हैं। चौराहा से बाइक पर तीन सवारी, बगैर हेलमेट के लोग गुजरते रहते हैं। कारों में भी अगली सीट पर चालक व उसके बराबर में बैठे लोग सीट बेल्ट नहीं बांधे होते हैं। ट्रैफिक पुलिस स्टाफ का ध्यान सड़क की ओर तब जाता है, जब जाम लगने लगे। वरना वे पूरी तरह निश्चित होकर चौराहा के एक कोने में खड़े होकर आपस में बातें करते रहते हैं। ओवरलोड वाहन तो पुलिस कर्मियों के लिए कमाई का जरिया बन जाते हैं। उधर, परिवहन विभाग का हाल यह है कि उसका अपना कार्यालय भवन तक नहीं है। एक पुराने भवन में कार्यालय जैसे तैसे संचालित हो रहा है। विभाग के पास यहां न तो टेस्ट ड्राइविग के लिए कोई ट्रैक है न ही फिटनेस चेक करने का कोई प्वाइंट। स्टाफ भी लगभग पचास फीसद कम है।

ट्रैफिक कंट्रोल के लिए 22 कांस्टेबिल हैं। इनमें से छह चालानकर्ता हैं। इसके अलावा 65 होमगार्ड व पीआरडी के जवानों की भी सेवाएं ली जा रही हैं। इन दिनों ट्रैफिक के सिपाहियों को यातायात नियंत्रण संबंधी उपकरणों के संचालन का प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है।

सुनील कुमार सिंह, ट्रैफिक इंस्पेक्टर विभाग के पास वास्तव में संसाधनों की कमी है लेकिन इसके बावजूद वाहन चालकों को यातायात के नियमों का पालन कराने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। स्टाफ की कमी से कार्यालय का कामकाज अक्सर प्रभावित होने लगता है।

अमिताभ राय, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.