चार माह तक कटा रहता ट्रांस शारदा से संपर्क
जेएनएन पीलीभीत बरसात के समय में शारदा नदी के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को कई किमी का चक्कर काचना पड़ता है।
जेएनएन, पूरनपुर (पीलीभीत) : शारदा नदी में बाढ़ आने से चार माह तक पौने दो लाख की आबादी का संपर्क जिला मुख्यालय से कटा रहता है। यह लोग या तो कई किमी. पानी में जान जोखिम में डालकर नाव के जरिए आते हैं या फिर इन लोगों को 30 के बजाय 125 किमी. का सफर तयकर तहसील मुख्यालय पहुंचना पड़ता है। इससे समय के साथ आर्थिक दोहन भी झेलना पड़ता है। नदी पर पक्का पुल बनाए जाने के लिए यहां के बाशिदों ने कई बार गुहार लगाई लेकिन अभी तक कोई भी ध्यान नहीं दिया गया। चार माह तक इस क्षेत्र के लोगों की मुसीबत झेलना बदनसीबी भी बना हुआ है।
ट्रांस शारदा क्षेत्र के लोगों के आवागमन के लिए 15 नवबंर को पेंटून पुल बनाने के आदेश हैं। यह पेंटून पुल 15 जून तक बरसात से पहले उखाड़ दिया जाता है। पुल बनाने की तिथि तो निर्धारित है लेकिन उसे समय रहते नहीं बनाया जाता। पिछले वर्ष डेढ़ माह बाद पुल का निर्माण किया गया। धनाराघाट पर बनने वाले इस पेंटून पुल के जरिये ट्रांस शारदा क्षेत्रवासियों के लिए पूरनपुर तहसील मुख्यालय की दूरी महज 35 किमी. पड़ती है। इससे इन्हें आवागमन में काफी सुविधाएं हो जाती हैं। नदी पर पक्का पुल न होने के कारण यहां के बाशिदों का चार माह तक तहसील मुख्यालय से सम्पर्क कटा रहता है। बाशिदों को अगर तहसील मुख्यालय जाना होता है तो वह लोग सम्पूर्णानगर, पलिया, भीरा, मैलानी, खुटार होते हुए 125 किमी. का सफर तय कर पहुंचते हैं। 35 किमी. सफर की बजाए 125 किमी. का सफर तय करने में इन लोगों की समय की बर्बादी होने के साथ ही आर्थिक दोहन भी झेलना पड़ता है। लोगों को इस समस्या को पिछले कई दशक से झेल रहे हैं। बताया जा रहा है कि कुछ वर्ष पहले पुल के निर्माण को सर्वे कराया गया था लेकिन उसको अमली जामा अभी तक नहीं पहुंचाया जा सका है। बाढ़ के समय समस्या और अधिक विकराल हो जाती है। लोगों को एक दूसरे गांव में कभी कभार नाव के जरिये भी पहुंचना पड़ता है। साथ ही मवेशी के चारे आदि की व्यवस्था के लिए भी ग्रामीण परेशान रहते हैं। गांवों के रास्ते और मुख्य संपर्क मार्गों में पानी भर जाने की वजह से भी लोगों का निकलना मुश्किल हो जाता है। जरूरत की सामग्री के लिए भी यहां के लोगों को तरसना पड़ता है। इन चार माह में यहां के लोगों को बेहद परेशानी के साथ यातायात में भारी दिक्कत का सामना भी करना पड़ता है। लोगों में पक्का पुल बनने की आस अभी भी जगी हुई है। शारदा में जब पानी बढ़ जाता है तो नदी अपने पूरे शबाब पर आ जाती है। ऐसे में नाव का भी संचालन बंद हो जाता है। लोगों को 125 किमी. की लंबी दूरी तक कर तहसील मुख्यालय पहुंचना पड़ता है।
गोविद कुमार
चार माह तक लोगों को आवागमन करने में काफी मुसीबतें होती है। नाव के सहारे भी जान जोखिम में डालकर ग्रामीण सफर तय करते हैं। इसके चलते हर समय मौत का खतरा मंडराता रहता है।
रामदास
नदी का फाट काफी लंबा है और कई किमी. के दायरे में फैला हुआ है। पक्का पुल बनवाने के लिए बाशिदे शुरू से मांग करते चले आ रहे हैं लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
राजेश कुमार
तहसील मुख्यालय पहुंचने के लिए लंबी दूरी का सफर तय करने के साथ समय की बर्बादी और आर्थिक दोहन भी झेलना पड़ता है। कभी-कभी दो दिन का भी समय आने जाने में लग जाता है।
हरदेव सिंह शारदा नदी पर पुल न होने से ग्रामीणों को कई किलोमीटर चक्कर काटकर बारिश के महीने में तहसील और जिला मुख्यालय को आना पड़ता है। समस्या गंभीर है। कम से कम साढ़े छह किमी पुल की दरकार है। करोड़ों का खर्च आएगा फिर भी जनता को परेशानी को देखते हुए पुल का प्रस्ताव बनाने पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।
-राजेंद्र प्रसाद, उपजिलाधिकारी पूरनपुर