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तराईवासियों को पंजाब के लिए चाहिए सीधी ट्रेन

तराई के जिले में सिखों की काफी आबादी है। पंजाब से रिश्ते भी हैं लेकिन यहां से कोई सीधी ट्रेन पंजाब के लिए नहीं है। ऐसे में सिख परिवारों के साथ ही पंजाब जाने वाले अन्य यात्रियों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 10:41 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 10:41 PM (IST)
तराईवासियों को पंजाब के लिए चाहिए सीधी ट्रेन

जागरण संवाददाता, पीलीभीत : तराई के जिले में सिखों की काफी आबादी है। पंजाब से रिश्ते भी हैं, लेकिन यहां से कोई सीधी ट्रेन पंजाब के लिए नहीं है। ऐसे में सिख परिवारों के साथ ही पंजाब जाने वाले अन्य यात्रियों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। यह जिला उत्तराखंड से सटा हुआ है। ऐसे में टनकपुर से पीलीभीत होते हुए हरिद्वार-देहरादून तक सीधी ट्रेन चलाए जाने की मांग लगातार उठती रही है। यहां के लोगों की अपेक्षा है कि बजट में वित्त मंत्री को इन ट्रेनों के संचालन की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।

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बड़ी रेल लाइन की सुविधा टनकपुर से पीलीभीत होते हुए बरेली तक हो गई है जबकि पूरनपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर होते हुए प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक अभी ब्राडगेज का कार्य अधूरा है। बरेली के लिए ब्राडगेज की सुविधा हो जाने के पश्चात यात्रियों की मांग पर दो एक्सप्रेस ट्रेनें मिली हैं। एक दिल्ली के लिए और दूसरी लखनऊ होते हुए प्रयागराज तक। इन दोनों ट्रेनों का संचालन टनकपुर से हो रहा है। साथ ही दोनों ट्रेनें दिन में संचालित हो रही हैं। जिले के कारोबारियों, उद्यमियों की मांग है कि दिल्ली के लिए रात में भी एक एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जाए। जिससे यहां के कारोबारी रात में ट्रेन में सवार होकर अगले दिन प्रात: दिल्ली पहुंच सकें। दिन में अपने कार्य निपटाकर रात में वापसी की सुविधा पा सके। अभी जो ट्रेन दिन में संचालित हो रही है, उससे कारोबारियों को कोई फायदा नहीं है। तराई के जिले को मिनी पंजाब कहा जाता है। क्योंकि यहां सिखों की बड़ी आबादी है। भले ही वे लंबे समय से यहां रह रहे लेकिन पंजाब से उनका जुड़ाव बरकरार है। पंजाब के विभिन्न शहरों में उनकी रिश्तेदारियां होने के कारण उनका पंजाब में आवागमन बना रहता है लेकिन यहां से कोई सीधी ट्रेन न होने की वजह से दिक्कतें आती हैं। उत्तराखंड के खटीमा, वनबसा, टनकपुर आदि में रहने वालों की सुविधा के लिए टनकपुर से देहरादून तक सीधी ट्रेन संचालित किए जाने की मांग लगातार उठती रही है। जिले के लोग हरिद्वार से जुड़ाव चाहते हैं। अगर देहरादून के लिए एक एक्सप्रेस ट्रेन संचालित हो जाए तो सभी को सुविधा रहेगी।

औद्योगीकरण को गति देने वाला हो बजट

- भरा पचपेड़ा में इंडस्ट्रियल हब बनने का हो रहा इंतजार

- उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम स्तर से हो रही है देरी

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जागरण संवाददाता, पीलीभीत : तराई के जिले में कृषि आधारित उद्योगों के लिए अपार संभावनाएं हैं, इसके लिए जमीन भी काफी मात्रा में उपलब्ध है। कब्जे से छुड़ाई गई लगभग 2700 एकड़ जमीन पर इंडस्ट्रियल हब बनाने का घोषणा तो शासन की ओर से कई साल पहले कर दी गई लेकिन उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम ने अब तक कुछ नहीं किया है। ऐसे में वित्त मंत्री को बजट में ऐसी व्यवस्था करना चाहिए, जिससे कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिल सके।

अभी तो यहां चीनी और चावल उद्योग ही प्रमुख है। कुछ फ्लोर मिलें व कई आयल मिलें भी संचालित हो रही हैं। जिला कृषि बाहुल्य होने के कारण यहां खाद्य प्रस्संकरण पर आधारित उद्योगों की काफी गुंजाइश है। इस तरह के उद्योग लगने से न सिर्फ जिले का आर्थिक विकास होगा बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए साधन भी विकसित हो सकेंगे। अमरिया तहसील के गांव भरा पचपेड़ा में कई साल पहले सपा शासन के दौरान ग्राम समाज की 2700 एकड़ भूमि को कब्जे से मुक्त करा लिया गया। इसके बाद प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन जब जिले के दौरे पर आए तो उन्होंने खाली कराई गई ग्राम समाज की भूमि पर इंडस्ट्रियल हब बनाने की घोषणा की थी। बाद में भाजपा की सरकार आई तो भी इस प्रोजेक्ट को बरकरार रखा गया। पूरी जमीन उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम की देखरेख में है लेकिन अभी तक उद्यमियों को भूखंड तक आवंटित नहीं किए जा सके हैं। जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र के प्रभारी उपायुक्त दुर्गेश कुमार का कहना है कि भरा पचपेड़ा में औद्योगीकरण के लिए आरक्षित की गई भूमि पर उद्यमियों को भूंखड आवंटित करने तथा वहां तक कुछ सड़क निर्माण कराने के लिए निगम से पत्राचार किया गया है। निगम से मंजूरी मिलते ही लोक निर्माण विभाग सड़क निर्माण शुरू करा देगा।


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