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रासलीला में दर्शकों ने कालीदह लीला का लिया आनंद

रासलीला में कालीदह लीला का मंचन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 07:27 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 07:27 PM (IST)
रासलीला में दर्शकों ने कालीदह लीला का लिया आनंद
रासलीला में दर्शकों ने कालीदह लीला का लिया आनंद

संवाद सहयोगी,बीसलपुर (पीलीभीत) : श्री रामलीला मेला में वृंदावन से आयी आदर्श श्यामप्रिय रासलीला एवं रामलीला मण्डली के कलाकारों ने कालीदह लीला का सुंदर मंचन कर मेलाíथयों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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रात्रि आठ बजे भगवान श्रीकृष्ण की आरती के साथ मंडली के पात्रों द्वारा कालीदह लीला मंचन शुरू होता है। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद राजा कंस को मृत्यु का भय सताने लगता है। कंस कृष्ण का वध कराने की चिता में अपने सभासदों से उपाय पूछने लगता है। इसी समय मुनि नारद का ख्याल आता है और वह उन्हें बुलवाकर उनसे श्रीकृष्ण वध करने का उपाय पूछने लगता है। ऋषि नारद कंस को बताते है कि गांव गोकुल के पास कालिया नाग की एक कालीदह है। सुंदर नीलकमल के फूल खिले हुए है। भगवान शिव की पूजा के लिए नीलकमल का फूल कृष्ण के हाथों मंगवाया जावे। भगवान कृष्ण अपनी लीला के दौरान अपने सखाओ के साथ गेंद खेलते हुए कालीदह के पास पहुंच जाते है और वह नीलकमल लेने के लिए कालीदह में कूद पड़ते है। जिससे सारे सखा चितित हो उठते है और यह सूचना मिलते ही गोकुलवासी कालीदह के किनारे पहुंच बड़ी संख्या में पहुंच जाते है वह चितित होकर कृष्ण को पुकारते है। कुछ ही देर में भगवान कालिया नाम नाग को नाथ उसके फन पर वंशी बजाते व नृत्य करते हुए बाहर आ जाते है। इसी समय सखा उनकी जय-जयकार करने लगते है। यही पर लीला का समापन हो जाता है। लीला को सम्पन्न कराने में सभापति गंगाधर दुबे, व्यवस्थापक सुरेश चंद्र अग्रवाल, लीला प्रबन्धक गोपाल कृष्ण अग्रवाल, अभय मित्तल, कृष्णा अग्रवाल आदि का विशेष सहयोग रहा।


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