प्रमाण पत्र पीलीभीत में बनेगा, जांच बरेली में
जनपद के दिव्यांगजन दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए बरेली तक की दौड़ लगा रहे हैं। जनपद के श्रवणबाधित दिव्यांगों के लिए जांच की सुविधा पीलीभीत में उपलब्ध नहीं है।
जागरण संवाददाता, पीलीभीत: जनपद के दिव्यांगजन दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए बरेली तक की दौड़ लगा रहे हैं। जनपद के श्रवणबाधित दिव्यांगों के लिए जांच की सुविधा पीलीभीत में उपलब्ध नहीं है। जांच कराने के लिए दिव्यांगजनों को बरेली स्थित मेडिकल कॉलेज में जाकर जांच करानी पड़ रही है। बरेली जाकर जांच कराने में दिव्यांगजनों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। यह प्रक्रिया वर्षों से ऐसे ही संचालित हो रही है लेकिन •िाम्मेदार लोगों ने कभी इसमें सुधार के लिए प्रयास नहीं किए। जनपद में प्रतिदिन सोमवार को जिला पुनर्वास केंद्र पर दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए शिविर का आयोजन किया जाता है। शिविर में सैकड़ों दिव्यांगजन प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आते हैं। दर्जनों दिव्यांग श्रवणबाधित भी होते हैं। जिला अस्पताल में कान की जांच की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है जिस कारण डॉक्टर जांच के लिए दिव्यांगजन को बरेली रेफर करते हैं। बरेली स्थित श्रीराममूर्ति मेडिकल कॉलेज में कान की दो जांचों ऑडियोमेट्री और बैरा का शुल्क ही 1500 रुपये से अधिक होता है। इसके अलावा दिव्यांगजन का आवागमन का खर्चा अलग। श्रवणबाधित दिव्यांगजन के प्रमाण पत्र बनवाने की औपचारिकताओं को पूरा करने में ही लगभग 2000 रुपये खर्च हो जाते हैं। इसके उपरांत अगर रिपोर्ट नियमानुसार होती है तो प्रमाण पत्र बन पाता है अन्यथा नहीं। वर्षों से प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया जनपद में चल रही है लेकिन इस समस्या की ओर अभी तक किसी ने ध्यान नहीं दिया है। जिला अस्पताल से भी अभी तक शासन को कान की जांच की सुविधा जनपद मुख्यालय पर उपलब्ध कराने के संबंध में कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है। दिव्यांगजनों की जेब पर पड़ रहे बेवजह बोझ को कम करने के लिए आला अधिकारियों को जनपद में ही ऑडियोमेट्री और बैरा जांच की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। जनपद में अभी ऑडियोमेट्री और बैरा जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जिस कारण दिव्यांगजनों को जांच के लिए बाहर रेफर किया जाता है। तत्काल ईएनटी सर्जन से ऑडियोमेट्री और बैरा जांच की सुविधा का प्रस्ताव लेकर शासन को भेजा जाएगा। अपने स्तर से भी प्रयास करूंगा कि जिला अस्पताल में ही श्रवण क्षमता की जांच की सुविधा उपलब्ध हो सके।
- डॉ. रतनपाल सिंह सुमन, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, संयुक्त जिला चिकित्साल पुरुष
श्रवणबाधित दिव्यांगों की समस्या से मंडल के अपर निदेशक स्वास्थ्य को अवगत कराया जाएगा। विभागीय स्तर से शासन को भी इस बाबत प्रस्ताव भेजकर जिला मुख्यालय पर जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाएंगे।
- डॉ. सीमा अग्रवाल, मुख्य चिकित्साधिकारी
आर्थिक कम•ाोरी के कारण दिव्यांग बच्चे दिव्यांगता की श्रेणी से बाहर
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में स्थित एक्सीलिरेटेड लर्निंग कैंप में अध्ययनरत कई श्रवणबाधित दिव्यांग बच्चों का दिव्यांग प्रमाण पत्र अभी तक नहीं बन पाया है। जनपद में दिव्यांग बच्चों की विशेष शिक्षा के लिए बीएसए कार्यालय में एक्सीलिरेटेड लर्निंग कैंप की स्थापना की गई थी। वर्तमान में कैंप में 80 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। कैंप में 36 बच्चे श्रवणबाधित दिव्यांग हैं। इनमें से दो चार को छोड़ दिया जाए तो 30 से अधिक श्रवणबाधित बच्चों का दिव्यांग प्रमाण पत्र नहीं बन पाया है। बच्चों का प्रमाण पत्र न बन पाने की बड़ी वजह आर्थिक कम•ाोरी के कारण उनके द्वारा कान की जांच का शुल्क वहन न कर पाना है। जनपद में कान की जांच की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण सभी बच्चों को जांच के लिए बरेली रेफर किया जाता है। बरेली स्थित मेडिकल कॉलेज में एक व्यक्ति की जांच का खर्चा 2000 रुपये के लगभग आता है। आर्थिक कम•ाोरी के कारण बच्चों के परिजन दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने में असमर्थ हो जाते हैं। जनपद में कान की जांच की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण गरीब तबके के दिव्यांग बच्चे भी अपना हक पाने से महरूम हैं। ऐसे में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है जिससे दिव्यांग बच्चों को आसानी से उनका हक मिल सके।