सिमरनजीत झुके पैरों पर, मां ने लगाया गले
पिता तो लखनऊ से ही सिमरनजीत सिंह के साथ रहे लेकिन घर में मां को सुबह से ही बेटे के आने का बेसब्री से इंतजार रहा। यह इंतजार काफी लंबा खिचा। कारण यह कि जिले की सीमा में प्रवेश करने के साथ ही इस पदकवीर के स्वागत-अभिनंदन का ऐसा सिलसिला चला कि घर पहुंचते-पहुंचते लगभग शाम हो गई।
पीलीभीत,जेएएन : पिता तो लखनऊ से ही सिमरनजीत सिंह के साथ रहे लेकिन घर में मां को सुबह से ही बेटे के आने का बेसब्री से इंतजार रहा। यह इंतजार काफी लंबा खिचा। कारण यह कि जिले की सीमा में प्रवेश करने के साथ ही इस पदकवीर के स्वागत-अभिनंदन का ऐसा सिलसिला चला कि घर पहुंचते-पहुंचते लगभग शाम हो गई।
शुक्रवार को शाम लगभग चार बजे टोक्यो ओलिंपिक में पुरुष हाकी टीम का यह हीरो अपने घर पहुंचा। वहां पहले से ही तमाम रिश्तेदार एवं अन्य परिचितों का जमावड़ा रहा। जैसे ही सिमरनजीत का सामना अपनी मां मंजीत कौर से होता है तो वह आशीर्वाद पाने के लिए उनके पैरों की ओर झुक जाते हैं। इस पर मां उन्हें बांहों में भरकर गले से लगा लेती हैं। बड़ा भावुक क्षण है। लंबे समय बाद मां-बेटा का मिलन हुआ तो कुछ देर के लिए दोनों में भावनाओं का ज्वार में उमड़ आया। इसी दरम्यान स्वजन और रिश्तेदारों ने सिमरनजीत को घेर लिया। बहनों प्रभजोत कौर, नवनीत कौर तथा अन्य स्वजन ने सिमरनजीत पर फूलों की वर्षा करके अपनी खुशी प्रकट की। इससे पहले मझोला में स्वागत कार्यक्रम चला। सबसे पहले नगर पंचायत चेयरमैन डा. मुन्ने खां के घर स्वागत हुआ। इसके बाद व्यापार मंडल के नगर अध्यक्ष देवेंद्र सिंह रिकू, अमृतपाल सोनू समेत अन्य व्यापारियों ने फूल मालाएं पहनाकर सिमरनजीत का स्वागत किया। गुरुद्वारा कलगीधर में सिमरनजीत ने श्री गुरुग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेका। मुख्य ग्रंथी बाबा दलजीत सिंह ने अरदास की। प्रबंधक बलविदर सिंह बिल्लू ने सिमरनजीत को सरोपा भेंट किया। गांव पहुंचते ही सिमरनजीत घर में प्रवेश करने से पहले गुरुद्वारा में पहुंचे और मत्था टेका। गांव का माहौल ऐसा लगता रहा, जैसे स्वागत सम्मान नहीं बल्कि कोई भव्य शादी समारोह हो रहा हो। सिमरनजीत के साथ सेल्फी लेने के लिए युवाओं की भीड़ लगी रही। उन्होंने भी इस मौके पर किसी को निराश नहीं किया। गांव में इतनी लग्जरी गाड़ियां पहले कभी नहीं देखी गईं। वाहनों के कारण गांव में जाम लगा रहा। इनसेट
जज्बा और जुनून से आता है खेल में निखार
शहर में सम्मान कार्यक्रमों के बीच ही सिमरनजीत सिंह ने पत्रकारों से वार्ता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि खेल में निखार लाने के लिए खिलाड़ी के अंदर जज्बा और जुनून पैदा होना चाहिए। उसी से आगे बढ़ने की ललक पैदा होती है। एक सवाल के जवाब में कहा कि प्रत्येक खेल के लिए अलग-अलग जगहें होती हैं। उन्हें हाकी खेलने का जुनून रहा, इसी कारण पंजाब जाकर वहां हाकी का तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त किया। बोले-छोटी या बड़ी जगह से कोई फर्क नहीं पड़ता। छोटी जगहों पर भी खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार भी खेलों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है।