सवा सौ तालाबों से गोमती नदी बनेगी सदानीरा
पीलीभीत,जेएनएन : प्रदेश की राजधानी लखनऊ की लाइफलाइन कहलाने वाली गोमती नदी का उद्गम माधोटांडा गांव में है। उद्गम से लेकर शाहजहांपुर जिले की सीमा तक करीब 47 किमी तक नदी की खोदाई का अभियान शुरू हुआ तो गोमती के रास्ते में तालाब मिलने लगे। अब तक कई तालाब खोजे जा चुके हैं। संभावना है कि जिले की सीमा तक गोमती के पूरे रास्ते करीब सवा सौ तालाब होने की संभावना सर्वे से पता चली है। मानसून आने से पहले गोमती की धारा को अविरल बनाने का कार्य पूरा किया जाना है, इसके लिए सैकड़ों मनरेगा मजदूर रोजाना नदी की खोदाई करने व अतिक्रमण हटाने का कार्य कर रहे हैं।
गोमती उद्गम स्थल के सुंदरीकरण के उपरांत अब डीएम का पूरा जोर इस नदी की धारा को जिले की सीमा तक अविरल बनाने पर है। इससे लिए वह प्रतिदिन के महा अभियान के दौरान हुए कार्यों की समीक्षा भी कर रहे हैं। मौके पर जाकर निरीक्षण करने के साथ ही ग्रामीणों का सहयोग भी मांग रहे हैं। डीएम के अनुसार अभी चंद गांवों में ही खोदाई का कार्य हुआ है लेकिन इस दौरान ही लगभग आधा दर्जन तालाब मिल चुके हैं। गोमती के पूरे रास्ते में करीब सवा सौ तालाब होने की संभावना है। इन तालाबों को भी विकसित किया जाएगा। जिससे गोमती की धारा को अविरल बनाने में शारदा नहर से पानी लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उनका प्रयास है कि मानसून सीजन शुरू होने से पहले ही गोमती के पुनरोद्धार का महा अभियान पूर्ण हो जाए और नदी की धारा अविरल बने। इसके लिए रोजाना दो सौ मनरेगा श्रमिकों को लगाया जा रहा है। जहां -जहां पर गोमती की जमीन पर कब्जे हैं, उन्हें हटवाकर नदी की गहराई बढ़ाई जा रही है। उद्गम से लेकर जिले की सीमा तक नदी के दोनों तटों पर सघन पौधारोपण भी कराया जाएगा। जिससे आगे चलकर पौधे पेड़ बन जाने पर नदी के जल संरक्षण में सहायक बन सकें। गोमती के पुनरोद्धार महा अभियान में स्थानीय ग्रामीण भी सहभागी बनने लगे हैं। गत दिवस पूरनपुर-बंडा मार्ग पर स्थित गोमती नदी के त्रिवेणीघाट पर प्रबंध समिति की ओर से सभी मजदूरों के लिए भोजन व्यवस्था का इंतजाम किया गया। इसी तरह से अन्य संस्थाओं से भी सहयोग की अपेक्षा की गई है।