स्वयं का दर्द भूलकर दूसरों की दूर कर रहीं पीड़ा
नारी को शक्ति का पर्याय माना जाता है। नारी जो ठान लेती है तो तमाम बाधाओं को पार करते हुए उसे पाने का हरसंभव प्रयास करती है। नारी की इसी हिम्मत हौसले और जीवटता की प्रतिरूप पल्लवी हैं। बीसलपुर के मुहल्ला दुबे निवासी पल्लवी सक्सेना संयुक्त जिला अस्पताल में साइकोथेरेपिस्ट के पद पर कार्यरत हैं। पल्लवी लोगों की मनोदशा को समझकर उन्हें मानसिक तनाव व परेशानियों से दूर करने का काम कर रही हैं। लोगों के दुख-दर्द को समझकर उन्हें सलाह व नियमित काउंसिलिग से लोगों के मानसिक रोगों का इजाज कर रहीं हैं।
पीलीभीत,जेएनएन: नारी को शक्ति का पर्याय माना जाता है। नारी जो ठान लेती है तो तमाम बाधाओं को पार करते हुए उसे पाने का हरसंभव प्रयास करती है। नारी की इसी हिम्मत, हौसले और जीवटता की प्रतिरूप पल्लवी हैं। बीसलपुर के मुहल्ला दुबे निवासी पल्लवी सक्सेना संयुक्त जिला अस्पताल में साइकोथेरेपिस्ट के पद पर कार्यरत हैं। पल्लवी लोगों की मनोदशा को समझकर उन्हें मानसिक तनाव व परेशानियों से दूर करने का काम कर रही हैं। लोगों के दुख-दर्द को समझकर उन्हें सलाह व नियमित काउंसिलिग से लोगों के मानसिक रोगों का इजाज कर रहीं हैं। जिला अस्पताल के मन कक्ष में काफी संख्या में मरीज पल्लवी से परामर्श लेने के लिए पहुंचते हैं। पल्लवी ने यह मुकाम हासिल करने के लिए लंबा संघर्ष किया है। वह जन्मजात अर्थराइटिस की मरीज हैं।
सरकारी संस्थानों से हुई पूरी शिक्षा: पल्लवी ने अपनी इंटरमीडिएट तक की शिक्षा बीसलपुर के सरकारी स्कूल से पूरी की। राजकीय महाविद्यालय बीसलपुर से ही स्नातक की उपाधि ग्रहण की। रुहेलखंड विश्वविद्यालय से समाजकार्य में परास्नातक करने के बाद केंद्रीय मनोरोग संस्थान रांची से एमफिल की डिग्री प्राप्त की। वर्तमान में पल्लवी नई दिल्ली स्थित केंद्रीय विवि जामिया मिलिया इस्लामिया से पीएचडी कर रही हैं। पल्लवी उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, समीक्षा अधिकारी समेत कई परीक्षाओं के प्रारंभिक चरण में सफलता हासिल कर चुकी हैं। पल्लवी इससे पहले नोएडा के शारदा अस्पताल, जनपद स्थित आशा ज्योति केंद्र व जिला अस्पताल बांदा में सेवाएं दे चुकी हैं।
पैरों में रहा दर्द पर नहीं डिगे कदम: पल्लवी जब तीन वर्ष की थीं तभी उन्हें पैर में दर्द की शिकायत महसूस हुई। कई जगह इलाज कराया लेकिन दर्द ठीक नहीं हुआ। हालत इतनी गंभीर हो गई कि दो बार आपरेशन कराना पड़ा। इसके बाद भी पल्लवी को समस्या से राहत नहीं मिली। पल्लवी ने अपनी समस्या का प्रभाव पढ़ाई पर नहीं पड़ने दिया। बैठने और चलने में असमर्थ होने के बाद भी पल्लवी ने पूरी हिम्मत के साथ पढ़ाई जारी रखी। हाईस्कूल, इंटरमीडिएट व स्नातक में टॉपर श्रेणी में अंक प्राप्त किए। स्ट्रेचर पर एमए के इम्तिहान देने वाली पल्लवी ने विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान प्राप्त किया। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए उन्होंने दिल्ली का रुख किया। दिल्ली में पढ़ाई के दौरान उन्हें पैर के साथ ही तेज सिरदर्द की शिकायत शुरू हो गई। एम्स में इलाज कराया तो पता चला कि गर्दन की सी4 व सी5 नसों में दिक्कत है।
परिवार व समाज को दिखाई जीजिविषा: पल्लवी में कुछ गुजरने की ललक हमेशा रही। इसी का परिणाम है कि दिन में तीन-तीन पेनकिलर खाकर स्कूल व कॉलेज में पढ़ाई पूरी की व असहनीय दर्द को बौना साबित कर दिया। चलते-चलते पैर सूज जाना, दवा का असर खत्म होते ही दर्द शुरू हो जाना, दर्द के दौरान पैर भी न हिला पाना.. ऐसी स्थितियों में लोगों ने पढ़ाई छोड़ने की सलाह दी। घरवाले भी खराब तबीयत के चलते अकेले बरेली, दिल्ली व रांची भेजने से घबराते थे लेकिन पल्लवी ने सभी को विश्वास में लेकर मुकाम हासिल किया। मेरा बचपन से अब तक का सफर शारीरिक दर्द में गुजरा है लेकिन उस दर्द को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। परिवार ने मेरा सहयोग किया। पापा पूरी रात मेरे पैर की नस पकड़कर बैठे रहते थे जिससे मैं थोड़ी देर सो सकूं। इन सबके बाद भी मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी और निरंतर बेहतर पढ़ाई व अवसरों की ओर अग्रसर रही। लोगों को समझना होगा कि जिदगी में चीजें आसान नहीं होतीं कितु यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अंधियारे के बाद उजियारा भी जरूर होगा।
- पल्लवी सक्सेना, साइकोथेरेपिस्ट, संयुक्त जिला चिकित्सालय