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जंगल कम होने से घट रहे विलुप्तप्राय बाघ

ज्यों-ज्यों जंगल का दायरा कम होता जा रहा है, त्यों-त्यों लुप्तप्राय बाघों का वजूद मिटता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 10:38 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 10:38 PM (IST)
जंगल कम होने से घट रहे विलुप्तप्राय बाघ
जंगल कम होने से घट रहे विलुप्तप्राय बाघ

पीलीभीत : ज्यों-ज्यों जंगल का दायरा कम होता जा रहा है, त्यों-त्यों लुप्तप्राय बाघों का वजूद मिटता जा रहा है। ऐसे में पर्यावरणीय असंतुलन पैदा होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। दुनिया भर के देश विलुप्तप्राय श्रेणी के बाघ को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुहिम छेड़े हुए हैं। हर साल बाघों के संरक्षण पर करोड़ों खर्च किए जाते हैं। देश में बाघ संरक्षण करने के लिए नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथारिटी का गठन है, जो बाघों के संरक्षण का काम करती है।

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देशभर में 50 टाइगर रिजर्व हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश में दुधवा टाइगर रिजर्व और पीलीभीत टाइगर रिजर्व शामिल हैं। हिमालय की तलहटी में बसे पीलीभीत टाइगर रिजर्व समेत पूरे तराई बेल्ट में पाए जाने वाले जंगल में लुप्तप्राय बाघ की बहुलता है, जबकि दुनिया में बाघों की घटना निरंतर घटती जा रही है। देश के कई टाइगर रिजर्व में नाममात्र के टाइगर रह गए हैं। इन टाइगरों को संरक्षण करने की दिशा में नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथारिटी काम कर रहा है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व का जंगल 73000 हेक्टेयर एरिया में फैला हुआ है, जिसमें शाहजहांपुर की खुटार रेंज की कुछ बीटें शामिल हैं। शाहजहांपुर का जंगल बफर जोन में शामिल किया गया है, जहां पर टाइगर अपना भोजन करने के लिए आते हैं। देश में सिमटते जंगल की वजह से लुप्तप्राय बाघों की संख्या घट रही है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल में 50 से अधिक टाइगर पाए जाने की पुष्टि हुई है, जो लेजर कैमरे की काउं¨टग में आए हैं। अन्य स्थानों पर जंगल और अन्य सुविधाएं न होने की वजह से टाइगर निरंतर घटते जा रहे हैं। इस पर सरकार बहुत ही जोर दे रही है। टाइगर रिजर्व के उप निदेशक आदर्श कुमार का कहना है कि तराई की पूरी बेल्ट में बाघ पाए जाते हैं। यहां पर बाघों के रहने के लिए अनुकूल जलवायु है। इसी वजह से बाघों की अच्छी खासी संख्या है। जंगल के अंदर पानी, नरकुल की बहुलता है। दुनिया में बाघ घट रहे हैं। देश में भी बाघों की संख्या कम हुई है। दुनिया के 25 देशों में जंगल समाप्ति के कगार पर है। इसी वजह से बाघों को रहने का स्थान नहीं मिल पाता है। देश की नीति निर्धारित करने वाले राजनीतिज्ञों ने बाघ संरक्षण की दिशा में पूरे मन से काम नहीं किया है। जैसे जैसे मनुष्य की इच्छाएं बढ़ी हैं। वैसे ही आबादी का विस्तार हुआ है। वन कम हो रहे हैं, जिसका विपरीत प्रभाव बाघों पर पड़ा है। टाइगर चे¨जग विहैवियर विषय पर रिसर्च किए जाने की जरूरत है, तभी बाघ-मानव संघर्ष के बारे में विस्तार से जानकारी मिल सकेगी। रिसर्च करने के लिए विद्वान लोगों को लाया जाना चाहिए।

-तहसीन हसन खान, पर्यावरण¨चतक

सचिव एवं सेव इन्वायरमेंट वेलफेयर सोसाइटी पीलीभीत। नवदिया बंकी में भेजा गया फील्ड स्टाफ

शाहजहांपुर जनपद की खुटार रेंज के नवदिया बंकी में बाघ हमले में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व की दियोरिया कलां रेंज का जंगल नवदिया बंकी के समीप है। ऐसे में दियोरिया कलां रेंज के फील्ड स्टाफ को भेजा गया है, जिससे टाइगर मॉनीट¨रग करने में मदद मिल सकेगी। उप निदेशक आदर्श कुमार का कहना है कि शाहजहांपुर जनपद के खुटार रेंज की बीटों के जंगल को हैंडओवर करने की प्रक्रिया चल रही है, जो अंतिम चरण में है। अभी शाहजहांपुर के अंडर में जंगल आता है।

फैक्ट फाइल

पीलीभीत टाइगर रिजर्व एरिया : 73000 हेक्टेयर

शाहजहांपुर जनपद का एरिया : 17000 हेक्टेयर

स्थापना वर्ष : 9 जून 2014

टाइगर रिजर्व की वनरेंज : माला, महोफ, बराही, हरीपुर, दियोरिया, खुटार

वन अधिकारी : फील्ड डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर


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