खाद्यान्न घोटाले में जिला समन्वयक की संलिप्तता
पीलीभीतजेएनएन सरकारी योजना पर पतीला लगाने से अधिकारी व कर्मचारी बाज नहीं आ रहे हैं। बे
पीलीभीत,जेएनएन: सरकारी योजना पर पतीला लगाने से अधिकारी व कर्मचारी बाज नहीं आ रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग में ऐसे कर्मचारियों व अधिकारियों की कमी नहीं हैं। जनपद के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय अमरिया में खाद्यान्न घोटाले की जांच में कई आरोप सिद्ध हुए हैं। मामले में जिला समन्वयक (बालिका शिक्षा) मनीष श्रीवास्तव के साथ खाद्यान्न उपलब्ध कराने वाली संस्था की बड़ी हेराफेरी सामने आई है। जांच रिपोर्ट मुख्य विकास अधिकारी श्रीनिवास मिश्र व डीसी मनरेगा मृणाल सिंह ने जिलाधिकारी पुलकित खरे को भेज दी है। जांच रिपोर्ट में प्रस्तुत तथ्यों से जिलाधिकारी की ओर से सख्त कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। मामले में बेसिक शिक्षा विभाग के कर्मचारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। पिछले दिनों जिलाधिकारी को पत्र भेजकर कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय अमरिया में खाद्यान्न घोटाले की शिकायत की गई थी। शिकायत में जिला समन्वयक बालिका शिक्षा मनीष श्रीवास्तव पर लाकडाउन अवधि के दौरान बालिकाओं के लिए आए खाद्यान्न को बेचकर तीन लाख रुपये गबन करने का आरोप लगाया गया था। जिलाधिकारी ने डीसी मनरेगा मृणाल सिंह को जांच के आदेश दिए। डीसी ने विद्यालय का स्थलीय निरीक्षण कर सभी बिदुओं पर जांच की।
जिलाधिकारी को प्रेषित जांच रिपोर्ट में डीसी मनरेगा ने अवगत कराया कि विद्यालय के मांग रजिस्टर में कई जगह ओवरराइटिग पाई गई है। खाद्यान्न आपूर्ति के लिए निर्धारित औजला इंटरप्राइजेज के प्रतिनिधि अजय कुमार की ओर से मांग के अनुरूप खाद्यान्न उपलब्ध नहीं कराया जाता है। वार्डन की ओर से जिला समन्वयक मनीष श्रीवास्तव के मौखिक आदेश पर लाकडाउन अवधि में खराब होने योग्य सामान औजला इंटरप्राइजेज को वापस कर दिया गया।
आपूर्ति कम, हस्ताक्षर अधिक पर रिपोर्ट में बयानों के आधार पर अवगत कराया गया कि औजला इंटरप्राइजेज के प्रतिनिधि द्वारा मांग से कम सामग्री उपलब्ध कराई जाती है जबकि हस्ताक्षर अधिक पर कराए जाते हैं। ऐसा आज से नहीं बल्कि वर्षों से होता आ रहा है। ऐसे में आपूर्ति संस्था की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। जिससे खरीदी, उसी को बेची: जांच में जिला समन्वयक मनीष श्रीवास्तव ने अवगत कराया गया कि औजला इंटरप्राइजेज के प्रतिनिधि अजय कुमार को सामान वापस किया गया। जांच अधिकारी ने रिपोर्ट में माना कि जिस फर्म द्वारा सामान की आपूर्ति की गई, उसी को वापस किया जाना संदिग्ध है क्योंकि सामान खराब होने योग्य नहीं था। ऐसे में जिला समन्वयक मनीष श्रीवास्तव की संलिप्तता प्रतीत होती है। आपूर्ति कम, भुगतान अधिक: जांच अधिकारी द्वारा पाया गया कि फर्म द्वारा खाद्यान्न की आपूर्ति कम की गई है तथा बिल का भुगतान सामान की आपूर्ति से अधिक किया गया है।
जिला समन्वयक ने मारी पलटी: जिला समन्वयक मनीष श्रीवास्तव ने मामले में दिए बयानों पर भी पलटी मार दी है। शिकायत सामने आने पर जिला समन्वयक ने बताया था कि खराब हो चुका अनाज बीएसए के मौखिक आदेश पर फेंक दिया गया। इसके उपरांत, जांच अधिकारी को दिए बयान में जिला समन्वयक ने कहा कि आपूर्ति कराने वाली फर्म को सामान वापस कर दिया गया। जिला समन्वयक की ओर बयानों में मारी गई पलटी से सवाल खड़े हो रहे हैं। कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय अमरिया में खाद्यान्न घोटाले की जांच रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। मामले में जिला समन्वयक, आपूर्तिकर्ता फर्म व वार्डन को दोषी पाया गया है। अग्रिम कार्रवाई के लिए फाइल जिलाधिकारी को भेज दी गई है।
- श्रीनिवास मिश्र, मुख्य विकास अधिकारी