बाढ़ में ग्रामीणों का कट जाता जिला मुख्यालय से संपर्क
हर साल बाढ़ के दौरान ट्रांस शारदा क्षेत्र की डेढ़ लाख की आबादी का संपर्क तहसील व जिला मुख्यालय से कट जाता है। प्रशासन का अमला भी इस क्षेत्र तक पहुंचने के लिए लंबा रूट तय करता है। शाहजहांपुर के खुटार लखीमपुर खीरी जनपद के मैलानी भीरा पलिया और संपूर्णानगर होते हुए सरकारी अमला बाढ़ग्रस्त हजारा क्षेत्र में पहुंच पाता है। उस पर भी प्रभावित गांवों तक पहुंचने के लिए कभी ट्रैक्टर ट्राली तो कभी नाव का सहारा लेना पड़ता है।
पीलीभीत : हर साल बाढ़ के दौरान ट्रांस शारदा क्षेत्र की डेढ़ लाख की आबादी का संपर्क तहसील व जिला मुख्यालय से कट जाता है। प्रशासन का अमला भी इस क्षेत्र तक पहुंचने के लिए लंबा रूट तय करता है। शाहजहांपुर के खुटार, लखीमपुर खीरी जनपद के मैलानी, भीरा, पलिया और संपूर्णानगर होते हुए सरकारी अमला बाढ़ग्रस्त हजारा क्षेत्र में पहुंच पाता है। उस पर भी प्रभावित गांवों तक पहुंचने के लिए कभी ट्रैक्टर ट्राली तो कभी नाव का सहारा लेना पड़ता है। ज्यादातर संपर्क मार्गों पर बाढ़ का पानी चल रहा होता है। इस इलाके में शारदा नदी के धनाराघाट पर पक्के पुल की मांग लंबे समय से उठाई जाती रही है,लेकिन अभी तक उस पर ध्यान ही नहीं दिया गया। हर साल 15 नवंबर से 15 जून तक के लिए पेंटून पुल की अस्थाई व्यवस्था कराई जाती है,लेकिन इस अवधि के दौरान कई बार शारदा का जलस्तर बढ़ जाता है। पानी जब पेंटून पुल के ऊपर बहने लगता है तो यह रास्ता भी बंद कर दिया जाता है। ऐसे में ट्रांस क्षेत्र के बाशिदों को सिर्फ नाव का सहारा रह जाता है। बाढ़ के दौरान तो स्थिति विकराल हो जाती है।
ट्रांस क्षेत्र की सभी 16 ग्राम पंचायतों और उनके मजरों को आपस में जोड़ने वाले संपर्क मार्गो पर कई फुट पानी चलने लगता है। सरकारी अमला जैसे तैसे लंबा रूट तय करके जब इस क्षेत्र में पहुंचता है तो राहत सामग्री बांटने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। गांवों के चारों ओर बाढ़ का पानी भरा होने कारण पशुओं के लिए चारा का इंतजाम करना मुश्किल हो जाता है। बाढ़ से घिरे परिवार सरकारी राहत सामग्री के सहारे ही रहते हैं। वह समय पर उन तक पहुंच जाए तो गनीमत वरना भूखे रहना पड़ता है। सबसे बड़ी समस्या यहां के लोगों के लिए आवागमन की है। जिला मुख्यालय आना पड़े तो पहले लखीमपुर खीरी जिले के संपूर्णानगर, पलिया, भीरा, मैलानी और फिर शाहजहांपुर जिले के खुटार पहुंचना होता है। खुटार से पूरनपुर और फिर वहां से पीलीभीत तक पहुंच पाते हैं। धनाराघाट पर पक्का पुल बन जाए तो फिर आवागमन की सुविधा बेहतर हो जाएगी। हर चुनाव में क्षेत्र के लोग नेताओं के समक्ष इस मांग को रखते हैं। आश्वासन तो सभी दे जाते,लेकिन उसे पूरा करने के लिए किसी भी जनप्रतिनिधि ने अब तक सार्थक प्रयास नहीं किए हैं।