बाढ़ के पानी से नहीं बची अंत्येष्टि की जगह
शारदा नदी का सैलाब, घरों से लेकर खेत खलिहानों तक हिलोरें मारती लहरें हैं।
पूरनपुर (पीलीभीत) : शारदा नदी का सैलाब, घरों से लेकर खेत खलिहानों तक हिलोरें मारती लहरों ने न सिर्फ ¨जदगी को तबाह किया है बल्कि मरने वालों के लिए समस्या पैदा कर दी है। बाढ़ के कारण अंत्येष्टि के लिए सूखी जगह नहीं बची है। बाढ़ पीड़ितों के लिए शवों को शारदा में बहाने के सिवाय कोई अंतिम रास्ता नहीं है। दाह संस्कार के लिए उन्हें कई किलोमीटर तक ऊंचे स्थान पर जाना पड़ता है लेकिन यह एक जोखिम भरा काम है।
गत दिवस राणाप्रतापनगर निवासी यदुनंदन की पत्नी राजी देवी (60) की अचानक तबीयत खराब हो गई। परिजन उसे अस्पताल ले जाना तो चाह रहे थे परंतु गांव के रास्ते बाढ़ के पानी से घिरे थे। परिवार असहाय हो गया। जैसे-तैसे रात कटी। अगली सुबह राजी देवी को अस्पताल में भर्ती कराने ले जा रहे थे तब तक काफी देर हो चुकी थी और महिला ने रपटापुल पर दम तोड़ दिया। परिवार मौत का गम भूलकर इस ¨चता में पड़ गया कि आखिर अंत्येष्टि कैसे की जाए। राजीदेवी के परिजन इसको लेकर परेशान होने लगे। ग्रामीणों ने जिधर भी निहारा पानी ही पानी नजर आया। ग्रामीणों की मदद से शव को पास के ही गांव नेहरूनगर के ऊंचे स्थान पर ले जाकर अंतिम संस्कार किया। हाल कोई कोई अकेले राणाप्रतापनगर गांव की राजी देवी का ही नहीं है। इस क्षेत्र के नहरोसा, राजीव नगर, श्रीनगर, चंद्रनगर, बहादुर नगर, भुरजनिया, सिद्ध नगर, अशोकनगर, राघवपुरी सहित आदि उन सभी गांवों का हैं, जो बाढ़ से प्रभावित हैं।