उद्गमस्थल झील में जहर से मरी थीं मछलियां
गोमती उद्गमस्थल की मुख्य झील के उत्तरी दिशा में स्थित तालाब में किसी ने साजिश के तहत जहर देकर मछलियों को मारा गया है। कई बार चोरी-छिपे मछलियों का शिकार कर बाजारों में बेचा जाता रहा था। उद्गम स्थल पर सुरक्षा के लिए 24 घंटे दो होमगार्डो की ड्यूटी रहती हैं। जाहिर है कि होमगार्डो की लापरवाही उजागर हुई है।
संवाद सहयोगी, कलीनगर (पीलीभीत) : गोमती उद्गमस्थल की मुख्य झील के उत्तरी दिशा में स्थित तालाब में किसी ने साजिश के तहत जहर देकर मछलियों को मारा गया है। कई बार चोरी-छिपे मछलियों का शिकार कर बाजारों में बेचा जाता रहा था। उद्गम स्थल पर सुरक्षा के लिए 24 घंटे दो होमगार्डो की ड्यूटी रहती हैं। जाहिर है कि होमगार्डो की लापरवाही उजागर हुई है।
तहसील क्षेत्र के माधोटांडा स्थित गोमती उद्गम स्थल पर मुख्य झील समेत तीन झील हैं। इन झीलों में बड़ी संख्या में मछली हैं। मुख्य झील की पूरे वर्ष सफाई होती रहती है,जबकि उत्तर दिशा में स्थित झील अक्सर जलकुंभी आदि से ढक जाती है। इस झील में छोटी बड़ी सभी तरह की विभिन्न प्रजातियों की मछलियां हैं। उद्गमस्थल एवं मुख्य झील व इसके पड़ोस में स्थित दक्षिण दिशा वाली झील तो रात को रोशनी देते हैं लेकिन उत्तर दिशा झील के निकट श्मशान घाट होने तथा बाग और झाड़िया होने तथा प्रकाश की व्यवस्था न होने के कारण सुनसान रहता है। जिसका फायदा चोरी से मछली मारने वाले उठाते रहते हैं। इस झील में जलकुंभी तो है लेकिन इतनी अधिक जलकुंभी नहीं है कि मछलियों को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन न मिल सके। कई महीनों से झील में जलकुंभी होने के बावजूद मछलियां बराबर देखी जाती रही हैं। लोगों का कहना है कि 1 दिन में हजारों मछली कैसे मर सकती हैं इसके पीछे मछलियों को जहर देकर मारा गया है इसकी उच्च स्तरीय जांच होना जरूरी है हालांकि ग्राम समाज की ओर से गंगा स्नान पर्व को देखते हुए उत्तर वाले झील से जलकुंभी को साफ कराया जाने लगा है। पूर्व प्रधान धनीराम कश्यप का कहना है कि पहले भी रात को चोरी छुपे धार्मिक स्थल वाले इस झील से मछलियों का शिकार होता रहता था उनका कहना है 24 घंटे उद्गम स्थल पर दो होमगार्ड जवान ड्यूटी करते हैं, इसके बावजूद उद्गम स्थल की सुरक्षा में लापरवाही स्पष्ट नजर आती है।