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पीलीभीत में ब्लैक फंगस का पहला केस मिला, मरीज दिल्ली रेफर

कोरोना संक्रमण के बाद एक और जानलेवा बीमारी ने दस्तक दे दी है। संक्रमण से उबर चुके लोगों को ब्लैक फंगस अपना शिकार बना रही है। शहर में ब्लैक फंगस का पहला मरीज सामने आया है। जानलेवा बीमारी का पहला केस सामने आने से खलबली मच गई है। केस की पुष्टि शहर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. विपिन साहनी ने की है। यह बरेली मंडल का पहला केस है। इससे पहले मंडल में कोरोना संक्रमण व बर्ड फ्लू का भी पहला केस पीलीभीत जिले में ही पाया गया था।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 11:02 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 11:02 PM (IST)
पीलीभीत में ब्लैक फंगस का पहला केस मिला, मरीज दिल्ली रेफर
पीलीभीत में ब्लैक फंगस का पहला केस मिला, मरीज दिल्ली रेफर

पीलीभीत,जेएनएन: कोरोना संक्रमण के बाद एक और जानलेवा बीमारी ने दस्तक दे दी है। संक्रमण से उबर चुके लोगों को ब्लैक फंगस अपना शिकार बना रही है। शहर में ब्लैक फंगस का पहला मरीज सामने आया है। जानलेवा बीमारी का पहला केस सामने आने से खलबली मच गई है। केस की पुष्टि शहर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. विपिन साहनी ने की है। यह बरेली मंडल का पहला केस है। इससे पहले मंडल में कोरोना संक्रमण व बर्ड फ्लू का भी पहला केस पीलीभीत जिले में ही पाया गया था।

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शहर में मुहल्ला साहूकारा निवासी 47 वर्षीय व्यक्ति अप्रैल में कोरोना संक्रमित पाया गया था। संक्रमित व्यक्ति का इलाज बरेली के राजश्री मेडिकल कॉलेज में चला। इलाज के दौरान मरीज को आक्सीजन दी गई व दवाओं में स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया गया। 26 अप्रैल को डिस्चार्ज होकर लौटे व्यक्ति की दवाइयां चलती रहीं। 6 मई को व्यक्ति को आंखों में सूजन व लालिमा महसूस हुई। एक ही दिन में आंख थोड़ी बाहर को निकल आई। पीड़ित व्यक्ति शहर के नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. विपिन साहनी को दिखाने पहुंचा तो उन्हें ब्लैक फंगस की आशंका हुई। उन्होंने सीटी स्कैन कराया जिसमें ब्लैक फंगस रोग की पुष्टि हुई। डॉ. विपिन ने मरीज को बेहतर उपचार के लिए दिल्ली रेफर कर दिया है। वर्जन-

शहर के एक मरीज में ब्लैक फंगस का केस पाया गया है। लक्षणों के आधार पर मरीज का सीटी स्कैन कराया गया जिससे आंख में फंगस की पुष्टि हुई। इस बीमारी का इलाज यहां संभव नहीं है। मरीज को दिल्ली रेफर कर दिया गया है।

- डॉ. विपिन साहनी, कौशल्या देवी आंख अस्पताल

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कोरोना संक्रमण में इलाज के दौरान मरीजों को स्टेरॉयड दिए जा रहे हैं। जो संक्रमित डायबिटीज के रोगी हैं उन्हें डॉक्टर की उचित परामर्श के बाद ही स्टेरॉयड देना चाहिए। स्टेरॉयड के साथ यह ध्यान रखना चाहिए कि मरीज का ब्लड शुगर नार्मल रहे। इसका साइड-इफेक्ट शरीर के किसी भी अंग में फंगस उत्पन्न कर सकता है। यह आंख, मुंह, फेफड़े आदि किसी भी अंग में हो सकती है। इससे बचाव का कोई खास उपाय नहीं है। स्टेरॉयड का संतुलित व उचित देखरेख में प्रयोग ही बचाव है। यह जानलेवा बीमारी है। इसका इलाज काफी लंबा है।

- डॉ. रतनपाल सिंह सुमन, सीएमएस, जिला पुरूष अस्पताल


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