किसानों को धान का अब तक नहीं मिला दाम
इस बार किसानों को धान का समर्थन मूल्य पाने के लिए काफी जिद्दोजहद करनी पड़ रही है। तमाम किसान अपना धान लिए क्रय केंद्रों पर डेरा डाले हुए हैं। जो किसान अपना धान सरकार को बेच चुके उनमें से तमाम लोगों को अभी तक उसका मूल्य भुगतान नहीं मिल सका है।
पीलीभीत, जेएनएन: इस बार किसानों को धान का समर्थन मूल्य पाने के लिए काफी जिद्दोजहद करनी पड़ रही है। तमाम किसान अपना धान लिए क्रय केंद्रों पर डेरा डाले हुए हैं। जो किसान अपना धान सरकार को बेच चुके, उनमें से तमाम लोगों को अभी तक उसका मूल्य भुगतान नहीं मिल सका है। शासन की ओर से धान की तौल कराने के 72 घंटे बाद मूल्य का भुगतान संबंधित किसानों के बैंक खातों में भेजने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इसका पालन नहीं हो पा रहा है।
गजरौला में आदर्श किसान इंटर कॉलेज में स्थित धान क्रय केंद्र पर धान की ट्रैक्टर-ट्रालियों की करीब एक किमी लंबी कतार लगी हुई है। किसानों का कहना है कि समय पर बारदाना न मिलने की वजह से ही कई दिनों तक तौल बंद रहती है। इसका विरोध भी कई बार किसानों ने किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में किसानों को कई कई दिनों तक धान की भरी ट्रालियों पर ही रात गुजारनी पड़ रही है। क्षेत्रीय लेखपाल अमित सक्सेना ने बताया कि शनिवार को तौल हुई थी, लेकिन रविवार को बंद रही। सोमवार को बारदाना मंगाया गया है और तौल हो रही है। क्रय केंद्र प्रभारी धर्मपाल सिंह बताया कि लगातार तौल हो रही है। बारदाना कम पड़ता है तो मंगा लिया जाता है। कुछ किसानों की बैंक खाता संख्या गलत होने से उन्हें भुगतान नहीं भेजा जा सका है। ऐसे किसानों के बैंक खाता नंबर सही कराए जा रहे हैं। 28 अक्टूबर से धान भरी ट्राली सेंटर पर खड़ी हुई है, लेकिन अभी तक नंबर नहीं आ पाया है। धान की तौल न होने से पैसा नहीं मिल पा रहा है।
श्यामाचरन, बंजरिया ट्राली 15 दिन से लाइन में लगी हुई है, लेकिन अभी तक तौल नहीं हो सकी है। बारदाना का बहाना लेकर टालमटोल करते हैं।
झम्मनलाल, गजरौला कला सेंटर पर इतनी भीड़ लगी हुई है कि जब ट्राली खड़ी करते हैं तो 15- 20 दिन के बाद नंबर आता है। इससे काफी परेशानी हो रही है।
मिलन राय, कंजा हरैया धान घर पर ही पड़ा है। ट्राली ना होने की वजह से ही सेंटर पर नहीं ले जा पा रहे हैं। वैसे भी केंद्रों पर कई दिन बाद नंबर आ रहा है।
जतिन मंडल, गजरौला
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16 लाख क्विटल धान खरीद हुई जिले में
1.17 लाख क्विंटल चावल एफसीआइ गोदामों में पहुंचा
300 करोड़ रुपये मूल्य का खरीदा गया धान
181 करोड़ रुपये किसानों को किया भुगतान
219 करोड़ रुपये बकाया
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चावल का उतार भारतीय खाद्य निगम के गोदाम में हो जाने के बाद ही संबंधित क्रय एंजेंसी को उसका मूल्य मिलता है। चावल उतार में कुछ व्यवधान आ गया था, लेकिन अब फिर उतार होने लगा है। ऐसे में जल्द ही शेष किसानों के खातों में धान मूल्य का भुगतान भेजा जाएगा।
अविनाश झा, जिला खाद्य विपणन अधिकारी
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मंडी में बेहद धीमी गति से की जा रही धान की खरीद
संस, पूरनपुर: कृषि उत्पादन मंडी समिति सहित ग्रामीण क्षेत्र में लगे क्रय केंद्रों पर बेहद धीमी गति से खरीद की जा रही है। किसान एक-एक माह से खरीद की आस संजोये बैठे हैं, लेकिन उनका धान बिक्री नहीं हो पा रहा है। इसके चलते उन्हें बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
बाजार में धान का रेट नाममात्र का होने के कारण किसानों ने समर्थन मूल्य योजना के तहत बिक्री करने के लिए क्रय केंद्रों का रुख किया है। इसबार धान खरीद की व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। क्रय केंद्रों पर धान की तौल के इंतजार में किसान एक एक माह से पड़े हुए हैं। इसके बाद भी धान की बिक्री नहीं हो पा रही है। किसानों ने बताया कि कभी वारदाना के लिए उन्हें टरकाया जाता है तो कभी अन्य समस्याएं बताकर तौल नहीं की जाती। इसको लेकर वह बेहद परेशान हैं। कृषि उत्पादन मंडी समिति के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के क्रय केंद्रों पर भी यही हाल है। किसान खुले आसमान के नीचे बारी का इंतजार कर रहे हैं। घुंघचाई क्रय केंद्र पर भी धान के ढेर लगे हुए हैं। यहां भी तौल व्यवस्था धीमी होने के कारण किसान हताश और परेशान हैं। क्षेत्रीय विपणन अधिकारी लालचंद्र ने बताया कि सोमवार को क्रय केंद्र इंचार्ज उन्हें नहीं दिखाई दिए। इस सेंटर को तहसीलदार ने शिफ्ट कराया था।
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सेंटर पर बैनर और कांटा-बाट तक नहीं
घुंघचाई क्षेत्र के गांव सिमरिया ताल्लुके अजीतपुर बिल्हा में लगा क्रय केंद्र घोर अनियमितताओं को लेकर चार दिन पहले तहसीलदार विजय त्रिवेदी ने मंडी में शिफ्ट कराया था। क्रय केंद्र तो मंडी में लगा दिया गया, लेकिन वहां खरीद शुरू नहीं हो सकी। क्रय केंद्र इंचार्ज मौके पर मौजूद नहीं हैं। न ही कांटा है और बैनर लगा हुआ है।
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घुंघचाई क्रय केंद्र पर जगह न होने के कारण 14 अक्टूबर को धान दूसरी जगह लगाकर तौल की बारी का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद भी खरीद नहीं हो पा रही है। रोजाना रखवाली करनी पड़ रही है।
मोनू बाजपेई
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एक माह के करीब धान का ढेर लगाए हुए हूं। क्रय केंद्र इंचार्ज तौल का आश्वासन देता रहा लेकिन अभी तक धान नहीं खरीदा गया है। रात दिन धान की रखवाली करनी पड़ रही है।
रामकुमार वर्मा