कोरोना ने फिर बढ़ा दी बुनकरों की चिता
कोविड-19 महामारी का प्रकोप बढ़ जाने से गांव में बुनकरों के व्यवसाय पर संकट के बादल छाने लगे हैं। परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने की चिता उन्हें सताने लगी है। पिछली बार हुए लाकडाउन में धंधा ठप हो जाने से उन्हें भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा था।
पीलीभीत, जेएनएन : कोविड-19 महामारी का प्रकोप बढ़ जाने से गांव में बुनकरों के व्यवसाय पर संकट के बादल छाने लगे हैं। परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने की चिता उन्हें सताने लगी है। पिछली बार हुए लाकडाउन में धंधा ठप हो जाने से उन्हें भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा था।
लगातार कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने से गांव में दरी बुनाई का धंधा करने वाले बुनकरों के चेहरे पर चिता की लकीरें दिखने लगी हैं। गांव के 500 से अधिक परिवार दरी बुनाई कर परिवारों का भरण पोषण कर रहे हैं। इस धंधे में 300 से 500 रुपये की दिहाड़ी आसानी से होने से उनका गुजारा चल रहा है। गांव में चल रहे 100 से अधिक दरी बुनाई के अड्डे पानीपत से आर्डर लेकर माल तैयार करने के बाद बिक्री के लिए उसे पानीपत ही भेज रहे हैं। कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ने से तैयार माल की डिमांड घटने लगी है, जिससे बुनकर परेशान है। बुनकरों का कहना है कि लाकडाउन लगा दो धंधा पूरी तरह से चरमरा जाएगा। पिछले वर्ष लाकडाउन लगने पर धंधे से जुड़े अधिकांश बुनकरों को फलों के ठेले व मजदूरी करनी पड़ी थी। कर्जा भी लेना पड़ा था जो अभी तक अदा नहीं पाया है। बुनकर इस बात को लेकर काफी परेशान है हालात खराब हुए तो उनके परिवारों का गुजारा कैसे हो पाएगा। अधिकांश बुनकर इस बार गांव छोड़कर बाहरी शहरों को भी नहीं गए हैं। यदि उनका धंधा बंद हो गया तो मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है जिससे हमारे धंधे पर भी असर पड़ने लगा है। पहले की तरह अब माल तैयार करने के आर्डर नहीं मिल रहे हैं।
महेश पिछली बार संक्रमण बढ़ने पर दरी बुनाई का धंधा दम तोड़ गया था। कई अड्डे बंद हो गए थे। काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था।
नईम हमारे गांव में अधिकांश गरीब परिवारों के लोग गरीब बुनाई कर अपना गुजारा कर रहे हैं। संक्रमण लगातार बढ़ने से इस धंधे पर असर पड़ रहा है। बुनकरों की चिताएं बढ़ती जा रही है।
मुन्ना कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चलते गांव में दरी बुनाई का धंधा प्रभावित होने लगा है। अब पहले की तरह आर्डर नहीं मिल रहे हैं, जिससे मुश्किलें बढ़ रही हैं।
मोहम्मद शरीफ