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सामाजिक सहयोग से कंपोजिट विद्यालय को संवारा

विद्यालयों के विकास में जनसमुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। बिलसंडा विकास क्षेत्र के कंपोजिट विद्यालय ताजपुर के कायाकल्प में भी सामाजिक सहयोग रहा हैजिससे बच्चों को बेहतर शैक्षिक माहौल मिल पा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 11:37 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 11:37 PM (IST)
सामाजिक सहयोग से कंपोजिट विद्यालय को संवारा
सामाजिक सहयोग से कंपोजिट विद्यालय को संवारा

पीलीभीत,जेएनएन: विद्यालयों के विकास में जनसमुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। बिलसंडा विकास क्षेत्र के कंपोजिट विद्यालय ताजपुर के कायाकल्प में भी सामाजिक सहयोग रहा है,जिससे बच्चों को बेहतर शैक्षिक माहौल मिल पा रहा है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक रामदास ने लोगों को विद्यालय विकास में अनुदान देने के लिए प्रेरित किया। कंपोजिट विद्यालय ताजपुर की उच्च प्राथमिक विग में रामदास की तैनाती मार्च 2016 में हुई थी। तैनाती के दौरान विद्यालय की स्थिति काफी बदहाल थी। विद्यालय की छवि व स्तर दोनों ही निम्न थे। रामदास ने सहयोगी शिक्षकों व समाजसेवियों के साथ मिलकर विद्यालय की तस्वीर बदलने के प्रयास किए और प्रेरक विद्यालय बनाने की ओर अग्रसर किया।

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विद्यालय का कराया कायाकल्प: प्रधानाध्यापक रामदास ने विद्यालय का भौतिक परिवेश बदलने के प्रयास शुरू किए। उन्होंने शौचालय का निर्माण कराया। विद्यालय की टूटी विद्युत लाइन जुड़वाकर पूरे कैंपस में नई फीटिग कराई। विद्यालय में एक भी पेड़ नहीं था। जमीन बंजर हो चुकी थी। उन्होंने सहयोगी स्टाफ और बच्चों के साथ जमीन को उपजाऊ बनाकर कैंपस को हरा-भरा किया। स्वच्छ पेयजल हेतु स्टाफ ने मिलकर बोरिग कराकर हैंडपंप लगवाया। सभी बच्चों के लिए फर्नीचर उपलब्ध: विद्यालय में बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। प्राथमिक स्तर पर 20 सेट (60 बच्चों के लिए) व उच्च प्राथमिक स्तर पर 30 सेट (90 बच्चों के लिए) फर्नीचर उपलब्ध है। फर्नीचर की व्यवस्था सामाजिक सहयोग से कराई गई है। नामांकन में हुई वृद्धि: वर्ष 2016 में विद्यालय में 117 बच्चों का नामांकन था जिसमें 15-20 बच्चे ही दैनिक उपस्थित होते थे। विद्यालय में कई बच्चों का गलत नामांकन भी था। प्रधानाध्यापक ने अनुपस्थित रहने वाले बच्चों का नाम पृथक किया। शैक्षिक स्तर बेहतर बनाते हुए बच्चों को प्रतिदिन विद्यालय आने को प्रेरित किया। वर्तमान में 265 बच्चे नामांकित हैं जिनके लिए प्रधानाध्यापक समेत तीन सहायक अध्यापक और दो शिक्षामित्र तैनात हैं। बच्चों की अपेक्षा अध्यापकों की कमी को देखते हुए विद्यालय में समाज से ही एक अन्य शिक्षक सहयोगपूर्वक अध्यापन कार्य करता है। बेंगलुरू से आया कंप्यूटर: बेंगलुरू स्थित पीपल फाउंडेशन ने विद्यालय को कंप्यूटर उपलब्ध कराया है। इससे बच्चे काफी नई जानकारियां सीखते हैं। इसके साथ ही फाउंडेशन की ओर से प्रति वर्ष बच्चों के लिए सत्रारम्भ पर कॉपियां भी उपलब्ध कराई जाती हैं। विज्ञान लैब बनाई व कक्षों को पेंटिग से सजवाया: प्रधानाध्यापक रामदास ने विद्यालय में डिब्बा पैक रखे विज्ञान के प्रयोगात्मक सामान को निकालकर लैब का रूप दिया। कक्षा-कक्षों को पेंटिग से सजवाकर आकर्षक बनाया है। इसके माध्यम से बच्चे पाठ्यक्रम से संबंधित कई तथ्य आसानी से सीख लेते हैं। विद्यालय के विकास में पूरा स्टाफ और समाज सहयोग करता है। भविष्य में एक प्रोजेक्टर क्रय करके स्मार्ट क्लास बच्चों को उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत हैं। इसके साथ ही ऑपरेशन कायाकल्प से भी अगर कुछ कार्य होगा तो विद्यालय का भौतिक परिवेश अधिक सुंदर बन सकेगा। बच्चों को बेहतर शैक्षिक परिवेश देने के लिए पूरा स्टाफ तत्पर रहता है।

- रामदास, प्रधानाध्यापक

विद्यालय की स्थिति सुधारने में प्रधानाध्यापक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विद्यालय में तैनात प्रत्येक कर्मी इसमें सहयोग करता है। विद्यालय को समाज का बहुत अच्छा सहयोग मिलता है। हमारा लक्ष्य बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में बेहतर वातावरण तैयार करना है।

- राकेश पटेल, जिला समन्वयक सर्व शिक्षा अभियान


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