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सीएमओ कार्यालय में कर्मचारी अधिक, बैठने की जगह कम

मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में छह कमरे हैं। कमरों का विभाजन करदस कमरे बना लिए गए हैं। कार्यालय बिल्डिग में लगभग चालीस कर्मचारी एकसाथ काम करते हैं। कर्मचारियों की संख्या के अनुपात में कार्यालय का स्थान काफी कम है जिस कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वर्ष 1998 से संचालित सीएमओ कार्यालय किसी भूलभुलैया से कम नहीं लगता। कमरों में हवा और प्राकृतिक रोशनी की उचित व्यवस्था नहीं है। भवन की गैलरी में कई लिपिकों के कक्ष बना दिए गए हैं जिससे आवागमन का मार्ग भी संकुचित हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 11:55 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 05:02 AM (IST)
सीएमओ कार्यालय में कर्मचारी अधिक, बैठने की जगह कम

पीलीभीत,जेएनएन: मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में छह कमरे हैं। कमरों का विभाजन करदस कमरे बना लिए गए हैं। कार्यालय बिल्डिग में लगभग चालीस कर्मचारी एकसाथ काम करते हैं। कर्मचारियों की संख्या के अनुपात में कार्यालय का स्थान काफी कम है जिस कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वर्ष 1998 से संचालित सीएमओ कार्यालय किसी भूलभुलैया से कम नहीं लगता। कमरों में हवा और प्राकृतिक रोशनी की उचित व्यवस्था नहीं है। भवन की गैलरी में कई लिपिकों के कक्ष बना दिए गए हैं जिससे आवागमन का मार्ग भी संकुचित हो गया है।

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जनपद में छह एसीएमओ कार्यरत हैं। कार्यालय भवन में अपर मुख्य चिकित्साधिकारियों के बैठने के लिए कोई चैंबर नहीं है। कई एसीएमओ बैठने की उचित व्यवस्था न होने के कारण दिन भर दफ्तर में दिखाई ही नहीं देते हैं।

गैलरी में रखी अलमारियां: कार्यालय में स्थान के अभाव का अंदाजा प्रवेश के दौरान ही लगाया जा सकता है। कार्यालय की गैलेरी में कई अलमारियां रखी हुईं हैं जिनमें गोपनीय विभागीय पत्रावलियां हैं। अलमारियां गैलरी में रखी होने से उनकी सुरक्षा पर भी संदेह बना रहता है।

सीलन भरे कमरे और बेतरतीब फाइलें

कार्यालय भवन के कई कमरों में सीलन आ गई है जिससे कीमती सामान खराब हो रहा है। इसके अलावा स्थान कम होने की वजह से महत्वपूर्ण फाइलों को खुले स्थान पर रखना पड़ता है जिससे उनके इधर-उधर होने का अंदेशा बना रहा है। कार्यालय भवन में कई फाइलें व आवश्यक सामान बेतरतीब रखे रहने से अव्यवस्था का माहौल बना रहता है।

एक फरियादी घूम सकता पूरा कार्यालय

सीएमओ दफ्तर जनपद का महत्वपूर्ण कार्यालय है। कार्यालय में स्थान संकुचित और सीमित होने के कारण अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए गोपनीयता बनाना मुश्किल होता है। तीन-चार पटल से संबंधित कई लिपिक और अधिकारी एक ही कमरे में बैठते हैं। अगर कोई फरियादी कार्यालय में प्रवेश करता है तो वह आसानी से पूरा कार्यालय घूम लेता है। इससे विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को असहजता भी महसूस होती है।

नई बिल्डिग तैयार, प्रवेश का इंतजार

सीएमओ दफ्तर का बहुमंजिला नवीन भवन पुराना जिला अस्पताल कैंपस में तैयार खड़ा है। गत वर्ष नवंबर में नए भवन को एजेंसी की ओर से हैंडओवर कर दिया गया। विभागीय अधिकारियों ने पूजन के बाद प्रवेश की तैयारी भी कर ली थी लेकिन प्रवेश का इंतजार वर्ष भर लंबा हो गया है। दरअसल कोरोना संकटकाल में सीएमओ ने पहल करते हुए नए कार्यालय को क्वारंटाइन सेंटर बनाने की अनुमति दे दी थी। दो माह पूर्व नया भवन खाली हुआ है।

वर्जन-

नए कार्यालय भवन को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया था। सेंटर बंद होने के बाद बिल्डिग में कार्यालय शिफ्ट किया जाना है। सैनिटाइजेशन व पेंट का काम शेष है जिसे जल्द से जल्द पूरा कराया जाएगा। पुराने भवन की समस्याओं से कर्मचारियों को जल्द निजात मिलेगी।

- डॉ. सीमा अग्रवाल, सीएमओ


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