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केलवा के पतवा पर उगते सूरज देव, झांके धूप छठी माई..

घर की चकिया पर गेहूं का आटा पीसते हुए पूर्वांचल की महिलाएं छठ मैया के भक्तिमय भोजपुरी गीत भी गुनगुना रही हैं। केलवा के पतवा पर उगते सूरज देव झांके धूप छठी माई ये बार कर ले मन में विचार के स्वर वातावरण में भक्ति का रस घोल रहे हैं। शहर की रेलवे कालोनी और उसके आसपास के मकानों में रहने वाले पूर्वांचल के परिवारों में कुछ ऐसा ही माहौल दिखाई दे रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 12:05 AM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 12:05 AM (IST)
केलवा के पतवा पर उगते सूरज देव, झांके धूप छठी माई..
केलवा के पतवा पर उगते सूरज देव, झांके धूप छठी माई..

पीलीभीत,जेएनएन : घर की चकिया पर गेहूं का आटा पीसते हुए पूर्वांचल की महिलाएं छठ मैया के भक्तिमय भोजपुरी गीत भी गुनगुना रही हैं। केलवा के पतवा पर उगते सूरज देव, झांके धूप, छठी माई ये बार कर ले मन में विचार के स्वर वातावरण में भक्ति का रस घोल रहे हैं। शहर की रेलवे कालोनी और उसके आसपास के मकानों में रहने वाले पूर्वांचल के परिवारों में कुछ ऐसा ही माहौल दिखाई दे रहा है।

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तराई के जिले में छठ पूजा का महापर्व शुरू हो चुका है। इस बार कोविड-19 महामारी के कारण सामूहिक रूप से पूजन का उत्सव तो नहीं होगा। ऐसे में रेलवे कालोनी के निकट वाले सरोवर पर मेला भी नहीं लग सकेगा लेकिन इस सबके बावजूद पूर्वांचल के लोगों में सूर्योपासना के इस महापर्व को लेकर भारी उत्साह दिखाई दे रहा है। विशेष बात यह है कि आधुनिकता की चकाचौंध के बीच पूर्वांचल के लोग इस पर्व पर अपनी प्राचीन परंपरा को कायम रखे हुए हैं। प्रसाद बनाने में महिलाएं पूरी शुद्धता बरत रही हैं। प्रसाद में शामिल ठेकुआ बनाने के लिए गेहूं को दो बार धोने के बाद लगातार दो-तीन दिन सुखाया गया। इसके बाद उसे किसी चक्की पर न भेजकर घर की चकिया में पीसकर आटा तैयार किया। ठेकुआ हो या खरना, दोनों को पकाने के लिए रसोई गैस नहीं बल्कि मिट्टी का चूल्हा गाय के गोबर से बने उपले और आम की लकड़ी से जलाया गया है।

पूजन में शामिल रहती है ये सामग्री

केला, सेब, नारियल, पपीता, गोभी, मूली, शकरकंद, लौकी, गन्ना, मिठाई, पूड़ी, ठेकुआ के अलावा और भी खाद्य पदार्थ श्रद्धानुसार शामिल किए जा सकते हैं। बरेली से खरीदकर लाई गईं बांस की टोकरियां

बांस की खपच्चों के तैयार विशेष प्रकार की टोकरी यहां नहीं बनती है। ऐसे में पूर्वांचल के परिवारों में छठ पूजा के लिए इन टोकरियों को बरेली से मंगवाया गया है। एक टोकरी की कीमत दो से ढाई सौ रुपये तक है। इसी टोकरी में प्रसाद का सभी सामान सजाया जाता है।


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