छठ पूजा को लेकर हजारा क्षेत्र में तैयारियां शुरू
नेपाल बार्डर समेत समूचे ट्रांस शारदा क्षेत्र में पूर्वांचल के लोगों से बसे गांवों में छठ पर्व की बयार बहने लगी है। जगह जगह बनी छठ वेदी की साफ सफाई और रंग रोगन का कार्य शुरू हो गया है। पर्व को लेकर तैयारियां जोरों पर शुरू हो गई हैं।
पीलीभीत,जेएनएन : नेपाल बार्डर समेत समूचे ट्रांस शारदा क्षेत्र में पूर्वांचल के लोगों से बसे गांवों में छठ पर्व की बयार बहने लगी है। जगह जगह बनी छठ वेदी की साफ सफाई और रंग रोगन का कार्य शुरू हो गया है। पर्व को लेकर तैयारियां जोरों पर शुरू हो गई हैं।
छठ का पर्व पूर्वांचल के लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। नेपाल सीमावर्ती गांवों में भी बड़ी संख्या में पूर्वांचल के लोग निवास करते हैं। इसके अलावा घुंघचाई और रमनगरा क्षेत्र में भी पूर्वांचल के लोग रहते हैं। छठ पर्व को लेकर पूर्वांचल के लोगों का उल्लास देखते ही बनता है। व्रतधारी महिलाओं की ओर से उगते और डूबते हुए सूर्य देव की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। दीपावली त्योहार के छह दिन बाद छठ पूजन होता है। व्रतधारी महिलाएं 36 घंटे का कठोर निर्जला व्रत रहकर अपने पुत्र, पति और परिवार की लंबी आयु की खुशहाली, सलामती की कामना करती हैं। शाम को विशेष पकवान खाने के बाद महिलाओं का व्रत शुरू होता है। अगले दिन रंग रोगन से सुसज्जित तालाब, पोखर, शारदा तट के निकट बनी छठ वेदियों पर व्रतधारी महिलाएं नवीन वस्त्र धारण कर सिर पर मौसम से संबंधित सेब, केला, संतरा, शकरकंद, सिघाड़ा, मूली, अदरक, धान का चूरा आदि के फल एक डलिया में रखकर समूह के साथ छठ वेदियों पर पहुंचती है। इस दौरान छठ मैया से संबंधित मंगल गीत गाए जाते हैं। डूबते हुए सूर्य देव की पूजा आराधना विधि विधान के साथ की जाती है। अगले दिन सुबह दोबारा नवीन वस्त्र धारण कर सभी व्रतधारी महिलाएं छठ वेदी पर पहुंचकर उगते हुए सूर्य देव की प्रतीक्षा कर अर्घ्य देकर व्रत एवं पूजन को पूरा करती हैं। पर्व के नजदीक आते ही नेपाल सीमावर्ती एवं ट्रांस शारदा क्षेत्र के गांव राणाप्रतापनगर, कबीरगंज, श्रीनगर, गौतमनगर, विजयनगर, अशोकनगर, शांतिनगर, भरतपुर, शास्त्रीनगर, सिद्धनगर, टांगिया समेत कई गांवों में तैयारी जोर शोर से शुरू हो गई हैं। पर्व पर कोसी भरने का प्रचलन
छठ पर्व पर दंपतियों की ओर से बच्चों का मुंडन संस्कार कराने का एवं कोसी भरने का भी प्रचलन है। इस दिन मनौती के अनुसार अपने अपने बच्चों का छठ बेदी स्थल पर ही बड़े धूमधाम के साथ मुंडन संस्कार कराया जाता है। मनौती के रूप में कोसी भरने की भी परंपरा है। इस परंपरा के अंतर्गत संबंधित दंपति खुशी के रूप में बड़े ही धूमधाम से पूजा अर्चना के पश्चात घर पर गांव आस पड़ोस और रिश्तेदार सहित सभी को स्नेह निमंत्रण देकर भोजन भी कराते हैं।
पिछले कई वर्षों से लगातार छठ मैया की व्रत रखकर पूजा अर्चना करती आ रही हूं। छठ मैया के आर्शीवाद से सभी बाधाएं दूर होती हैं। घर में खुशहाली आती है।
शशिकला शर्मा
पूर्वांचल के लोग छठ मैया का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। व्रत परायण से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसको लेकर घरों में सभी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
सनलता देवी