पीलीभीत,जेएनएन : जिला प्रशासन की धान की पराली का निस्तारण कराने की रणनीति इस बार पूरी तरह कामयाब रही। अब गन्ना की पताई का निस्तारण कराने की बारी है। गन्ना कटाई का सीजन शुरू हो गया है। जिले की सभी सहकारी गन्ना विकास समितियों पर फार्म मशीनरी बैंक स्थापित हैं। यहां से किसान पताई निस्तारण के लिए यंत्र प्राप्त कर सकते हैं लेकिन किसानों में जागरूकता की कमी है। उन्हें पताई को जला देना आसान लगता है। इसीलिए जिला प्रशासन ने अभी से सख्ती शुरू कर दी है। पताई जलाने वाले किसान का गन्ना आपूर्ति सट्टा बंद करने मूल्य भुगतान रोके जाने की चेतावनी दी जा रही है।
जिले में इस बार गन्ना फसल का रकबा एक लाख चार हजार हेक्टेयर है। इसमें पेड़ी गन्ना कुल 52 हजार 200 हेक्टेयर में है। राजकीय कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ विज्ञानी डा. शैलेंद्र सिंह ढाका के अनुसार पेड़ी गन्ना की छिलाई-कटाई के बाद खेत खाली हो जाता है। उसमें गेहूं की बुवाई करने की जल्दबाजी में किसान पताई जलाते रहे हैं लेकिन अब इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू है। डॉ. ढाका बताते हैं कि पराली की तुलना में पताई का निस्तारण काफी आसान है। गन्ना कट जाने के बाद खेतों में मल्चर चला दें, जिससे पताई भूसे की भांति छोटे छोटे टुकड़ों में तब्दील हो जाएगी। इसके बाद खेत में हल्की सिचाई कर दें। साथ ही दो किग्रा प्रति एकड़ की दर से यूरिया का छिड़काव कर देने के बाद पताई बहुत जल्दी गलकर मिट्टी में मिल जाएगी। इससे खेत को हरी खाद प्राप्त होगी, जिससे उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। दूसरा तरीका मिट्टी पलट हल चलाना है। इससे पताई जमीन के अंदर दब जाती है और अंदर की मिट्टी सतह पर आ जाती है। इन दोनों में से कोई भी विधि प्रयोग की जा सकती है।
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पौधा गन्ना कटाई में नहीं आएगी पताई की समस्या
पताई की समस्या सिर्फ पेड़ी गन्ना की कटाई में है। जब पौधा गन्ना की कटाई होगी तो पेड़ी बचाने के लिए पताई को खेत में फैला दिया जाता है। जिससे पेड़ी गन्ना फसल की बढ़वार होने लगती है। ऐसे में पूरे जिले में सिर्फ 52 हजार 200 हेक्टेयर पेड़ी गन्ना फसल की पताई का ही निस्तारण होना है।
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25 रुपये प्रति घंटा किराया पर मिलेंगे यंत्र
जिले में कुल छह सहकारी गन्ना विकास समितियां संचालित हैं। इन सभी में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना हो चुकी है। किसान अपनी गन्ना समिति से संपर्क करके पताई निस्तारण के लिए मल्चर या मिट्टी पलट हल सिर्फ 25 रुपये प्रति घंटा किराया पर प्राप्त कर सकते हैं। अगर गन्ना खेत का रकवा अधिक है तो फिर ढाई सौ रुपये किराया देकर पूरे दिन के लिए यंत्र प्राप्त किया जा सकता है।
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किसी भी दशा में गन्ना की पताई जलाई नहीं जाएगी। ऐसा करने वाले किसान का गन्ना आपूर्ति सट्टा निरस्त हो जाएगा। साथ ही जितना गन्ना मिल को आपूर्ति किया होगा, उसका भुगतान भी रुकवाया जाएगा। पताई के निस्तारण के लिए सस्ता और सुगम उपाय अपनाकर किसान अपने खेत की उर्वरता भी बनाए रख सकते हैं और किसी भी कार्रवाई का उन्हें सामना नहीं करना पड़ेगा।
जितेंद्र कुमार मिश्र, जिला गन्ना अधिकारी
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