टाइगर रिजर्व में खिलते हैं बैजयंती के फूल
आमतौर पर लोगों ने बैजयंती माला का नाम फिल्मों में सुना है या उन्हें सिर्फ इतनी जानकारी रहती है कि बैजयंती से बनी माला भगवान श्रीकृष्ण के गले में शोभायमान रहती है। बैजयंती क्या है की जानकारी चंद जानकार लोगों को ही रहती है।
जागरण संवाददाता, पीलीभीत : आमतौर पर लोगों ने बैजयंती माला का नाम फिल्मों में सुना है या उन्हें सिर्फ इतनी जानकारी रहती है कि बैजयंती से बनी माला भगवान श्रीकृष्ण के गले में शोभायमान रहती है। बैजयंती क्या है की जानकारी चंद जानकार लोगों को ही रहती है। मान्यता है कि बैजयंती का पौधा बेहद सौभाग्यशाली माना जाता है और जिस स्थल पर पौधा उगता है, उसे पवित्र भी माना जाता है। इस ²ष्टिकोण से पीलीभीत टाइगर रिजर्व का जंगल भी पवित्र माना जाएगा। इस जंगल में कई स्थानों पर बैजयंती के पौधे प्राकृतिक रूप से उगते हैं। फूल भी खिलते हैं लेकिन माला बीजों से तैयार की जाती है। खास बात यह कि माला गूंथने के लिए बैजयंती के सख्त बीज में सुराख करने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि इनमें प्राकृतिक रूप से अपने आप छिद्र बन जाते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण को छह वस्तुएं सर्वाधिक प्रिय हैं। गाय, बांसुरी, माखन, मिश्री, मोरपंख और बैजयंती माला। बैजयंती बीजों से तैयार माला धारण करना धार्मिक व ज्योतिषीय के आधार पर बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इसे धारण करने वाला व्यक्ति विपत्तियों का सामना सफलतापूर्वक कर सकता है। बैजयंती माला से नक्षत्रों का प्रभाव भी कम हो जाता है। गिरिराज सिंह ने सबसे पहले की पहचान
पीटीआर में वैसे तो बैजयंती के फूल न जाने कब से खिल रहे हैं लेकिन इनके पौधों की पहचान महोफ रेंज के रेंजर गिरिराज सिंह ने की है। वह बताते हैं कि महोफ के साथ ही मुस्तफाबाद में भी अनेक स्थानों पर बैजयंती के पौधे उगे हुए हैं। साथ ही यह भी बताते हैं कि ये पौधे प्राकृतिक रूप से उग आते हैं। इन्हें रोपने की आवश्यकता नहीं पड़ती। पौधे उगते हैं, उनमें फूल खिलते हैं और फिर वही फूल बीज का रूप ले लेते हैं। इसके बाद बीज पक जाने पर पौधों से झड़ जाते हैं। जंगल को पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित कर दिए जाने के बाद किसी भी चीज की निकासी पर पूर्ण प्रतिबंध है। बैजयंती के बीज वहीं पड़े रहते हैं तो जो मिट्टी में दब जाते हैं और बरसात के बाद वही बीज जमीन के अंदर से नए पौधे के रूप में अंकुरित होते रहते हैं। रेंजर गिरिराज सिंह के मुताबिक बैजयंती का पौधा पांच से छह फुट तक ऊंचा होता है। मथुरा व वृंदावन में होती है सर्वाधिक मांग
भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा, वृंदावन आदि में बैजयंती माला की डिमांड सर्वाधिक होती है। इसके अलावा इस्कान मंदिरों में भी बैजयंती माला का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।