पीलीभीत में नेपाल सीमा के सुतिया नाला पर पुल निर्माण को स्वीकृति
सुरक्षा व सामरिक दृष्टि से नेपाल सीमा पर सड़क बन रही है। यहां सुतिया नाले के ऊपर दो करोड़ रुपये की लागत से पुल निर्माण की स्वीकृति मिल गई है। विभाग की ओर से 11.95 करोड़ की धनराशि को रिवाइज किया गया है।
पूरनपुर (पीलीभीत), जेएनएन: सुरक्षा व सामरिक दृष्टि से नेपाल सीमा पर सड़क बन रही है। यहां सुतिया नाले के ऊपर दो करोड़ रुपये की लागत से पुल निर्माण की स्वीकृति मिल गई है। विभाग की ओर से 11.95 करोड़ की धनराशि को रिवाइज किया गया है।
इंडो नेपाल सीमा पर पीलीभीत जिले में करीब 40 किमी. सड़क बनाई जा रही है। वर्ष 2010 में इस सड़क के निर्माण की स्वीकृति मिली थी। इस सड़क को सात, 23 और नौ किमी. के तीन टुकड़ों में बनाना है। वर्ष 2014 में 19 करोड़ रुपये शासन से सात किमी. सड़क निर्माण को स्वीकृत किए गए। सात किमी. सड़क के टुकड़े में 2.8 किमी. मार्ग 127 किसानों की जमीन खरीदकर वर्ष 2016 में बनाया है। इसमें लगभग 9.85 करोड़ की लागत आई। 4.2 किमी. वन विभाग की जमीन होने से सड़क का निर्माण नहीं हो सका। सड़क के बीच से निकले नेपाल से आए सुतिया नाले पर पुल निर्माण का प्रस्ताव विभाग ने शासन को भेजा। पुल निर्माण को दो करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। यह पुल 30 मीटर लंबा व सात मीटर चौड़ा होगा। 50-50 मीटर दोनों तरफ पुल की एप्रोच बनेगी। 2.8 किमी. सड़क व पुल में आने वाली 11.95 करोड़ लागत को लेकर विभाग ने रिवाइज लेटर भेजा है।
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सात जिलों में बन रही है यह सड़क
इंडो नेपाल बार्डर यह सड़क सात जिलों में बन रही है। यूपी में इसकी लंबाई 540 किमी. है। इस सड़क के निर्माण में वन विभाग रोड़ा बना है। वह प्रस्ताव पर लगातार क्यूरी लगाकर वापस कर रहा है। इससे सड़क का निर्माण लटक गया है।
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जिले के आखिरी गांव तक जुड़ेगी सड़क
जिले में यह सड़क करीब 40 किमी बननी है। शारदा पुरी से माधोटांडा थाना क्षेत्र, उत्तराखंड व नेपाल सीमावर्ती गांव सुंदरनगर के पास अंतरराष्ट्रीय पिलर संख्या 27 तक यह सड़क बननी है। इसके लिए बंदरबोझ के पास एक-एक किमी. लंबे पुल निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा है।
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इस मार्ग का निर्माण वर्ष 2010 से हो रहा है। 2014 में 19 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे। नौ करोड़ की लागत से किसानों की जमीन खरीद कर 2.8 किमी. सड़क बनवाई। दो करोड़ रुपये पुल के लिए स्वीकृत हुए हैं। 11.95 करोड़ रुपये का रिवाइज लेटर दिया है। वन विभागसे अनुमति न मिलने का कारण सड़क का निर्माण लटका है।
मनोज कुमार
अवर अभियंता
इंडो नेपाल बार्डर परियोजना