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अरसे बाद स्कूलों में बच्चे खिलखिलाए

पीलीभीतजेएनएन पिछले सत्र के दौरान कोविड महामारी के दौर में प्राइमरी स्कूल बंद हो गए थे। बाद में स्कूल खुले तो बच्चों को नहीं बुलाया गयालेकिन बुधवार को सुबह स्कूलों में बच्चों की रौनक नजर आई। लंबे अरसे के बाद स्कूलों में पहुंचे बच्चों के चेहरे खिले हुए दिखे। स्कूल में प्रवेश के दौरान गेट पर ही बच्चों की थर्मल स्क्रीनिग की गई। हाथों को सैनिटाइज करने के उपरांत बच्चों के बीच उचित शारीरिक दूरी बनाकर कक्षाएं लगीं और पढ़ाई हुई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Sep 2021 11:01 PM (IST)Updated: Wed, 01 Sep 2021 11:01 PM (IST)
अरसे बाद स्कूलों में बच्चे खिलखिलाए
अरसे बाद स्कूलों में बच्चे खिलखिलाए

पीलीभीत,जेएनएन : पिछले सत्र के दौरान कोविड महामारी के दौर में प्राइमरी स्कूल बंद हो गए थे। बाद में स्कूल खुले तो बच्चों को नहीं बुलाया गया,लेकिन बुधवार को सुबह स्कूलों में बच्चों की रौनक नजर आई। लंबे अरसे के बाद स्कूलों में पहुंचे बच्चों के चेहरे खिले हुए दिखे। स्कूल में प्रवेश के दौरान गेट पर ही बच्चों की थर्मल स्क्रीनिग की गई। हाथों को सैनिटाइज करने के उपरांत बच्चों के बीच उचित शारीरिक दूरी बनाकर कक्षाएं लगीं और पढ़ाई हुई।

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पिछले साल कोविड महामारी के कारण मार्च में प्राइमरी स्कूल बंद हो गए थे। लगभग डेढ़ साल के लंबे अंतराल के बाद बुधवार को सुबह कई स्कूलों में माहौल खुशनुमा रहा। स्कूलों में रंग-बिरंगे गुब्बारे लगाए गए। गेट पर ही शिक्षक-शिक्षिकाओं ने बच्चों का स्वागत किया। तिलक लगाकर मिष्ठान खिलाया गया। इससे पहले थर्मल स्क्रीनिग कराई गई। बच्चों के लिए मास्क लगाना अनिवार्य किया गया है। शहर में निजी स्कूलों की अपेक्षा परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की संख्या कम रही है। निजी स्कूलों के प्रबंधकों ने पहले ही अभिभावकों से संपर्क करके उन्हें बच्चों की सुरक्षा के प्रति पूरा भरोसा देने के साथ ही स्कूल की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दे दी थी। सरस्वती शिशु मंदिरों में भी बच्चों की संख्या ठीकठाक रही है। अशोक कालोनी स्थित संतराम सरस्वती शिशु मंदिर में इंटरवल में बच्चों ने पार्क में खूब मस्ती की। परिषदीय विद्यालयों में शारीरिक दूरी के साथ कक्षाएं शुरू हुईं। साथ ही लंबे समय से बंद पड़ी रसोई भी गुलजार हो गई। बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन मेन्यू के अनुसार तहरी परोसी गई। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चंद्रकेश सिंह के अनुसार प्रधानाध्यापकों को कोविड नियमों का पूरी तरह से पालन करते हुए बच्चों को पढ़ाने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं। पहले दिन परिषदीय जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या अपेक्षाकृत कम रही है, वहां शिक्षकों के माध्यम से अभिभावकों से संपर्क कराया जा रहा है, जिससे और भी बच्चे स्कूल पहुंचकर अपनी पढ़ाई शुरू कर सकें।

बच्चों की बात

घर पर रहते हुए पढ़ाई करते बहुत दिन हो गए थे। सोचते थे कि पता नहीं कब स्कूल जाने का मौका मिलेगा। आज स्कूल में आकर बहुत खुशी हुई।

नितिन

आज स्कूल आकर बहुत अच्छा लगा। सहेलियों से मिलना हुआ। लंबे समय से घर में रहने के कारण बोरियत होने लगी थी। ज्यादा दिनों के बाद आना हुआ, इस कारण अपना स्कूल अच्छा लगा।

पायल

स्कूल के टीचर मोबाइल पर लिखकर जो होम वर्क देते थे, वही पूरा करना पड़ता था। अब स्कूल आने का मौका मिला है। अन्य बच्चों के साथ कक्षा में बैठकर पढ़ाई करना अच्छा लगा।

काजल

आज काफी दिनों के बाद स्कूल में सबके साथ खाना खाने को मिला। घर पर तो रोज परिवार के साथ खाते थे। स्कूल में अपने साथियों के साथ तहरी खाना अच्छा लगा।

कपिल

स्कूल आने के बाद बहुत खुशी हुई। पहले दिन ही किताबें भी मिल गईं। अब तो रोजाना स्कूल खुला करेगा। कक्षा में बैठकर पढ़ाई करने का मौका मिलेगा। रोज मिडडे मील खाएंगे।

रोशनी

पहले कभी मोबाइल से पढ़ाई की ही नहीं थी, इसलिए बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। सिर में दर्द होने लगता था। अब स्कूल खुल गया है। कक्षा में सबके साथ बैठ कर पढ़ाई करूंगी।

गौरी

भगवान करे अब कभी स्कूल बंद न हों। घर में रहते हुए परेशान हो गई थी। बार-बार मन करता था कि स्कूल खुलें और सहेलियों से मिल सकूं। आज स्कूल में सबसे मिलकर खुशी हुई।

साक्षी

अभिभावकों की बात

अनलाक में जब सब कुछ खुल गया है तो स्कूलों में कक्षाएं भी शुरू करना आवश्यक था। बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा था। आनलाइन पढ़ाई में वह बात नहीं आती, जो बच्चों को क्लास में बैठकर हासिल होता है।

मीना देवी

स्कूल खुल जाने से काफी राहत मिली है। बच्चे कम से कम कक्षाओं में अपने टीचर के दिशा निर्देशन में पढ़ाई तो कर सकेंगे। घर पर अच्छे ढंग से पढ़ाई नहीं हो पाती है। बच्चों के लिए स्कूल का माहौल भी जरूरी है।

उर्मिला देवी

शिक्षकों की बात

बच्चों की आनलाइन पढ़ाई तो मजबूरी में कराई। कई बार समस्या भी आती रही है। कभी नेटवर्क न मिलना या इंटरनेट की गति सुस्त हो जाने से दिक्कत आती रही है। वैसे भी बच्चे क्लास में बैठकर जितने अच्छे ढंग से सीख सकते हैं, उतना आनलाइन से नहीं।

डा. श्रुति कीर्ति यादव

छोटे बच्चों को आनलाइन शिक्षण देना काफी कठिन कार्य है। कई बार बच्चों की समझ में ही नहीं आता। बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थी तो आनलाइन पढ़ाई आसानी से कर लेते लेकिन प्राइमरी के बच्चों के लिए कठिनाई रहती है।

श्वेता प्रिया


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