ट्रैप फेल मामले में भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम पर कार्रवाई शुरू
ट्रैप फेल मामले में भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम पर कार्रवाई शुरू
ट्रैप फेल मामले में भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम पर कार्रवाई शुरू
पीलीभीत,जेएनएन : उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकारी संघ (यूपीएसएस) के जिला प्रबंधक कार्यालय में रिश्वतखोरी की शिकायत पर भ्रष्टाचार निवारण संगठन टीम का ट्रैप फेल होने के मामले में कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इस प्रकरण में टीम में शामिल सभी ग्यारह कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध मानी गई है, जिसके मद्देनजर भ्रष्टाचार निवारण संगठन के डीआइजी लखनऊ ने टीम में शामिल कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इस कार्रवाई से भ्रष्टाचार निवारण संगठन बरेली और मुरादाबाद के कार्यालयों में खलबली मच गई है।
क्या था यह मामला
पूरनपुर क्षेत्र के गांव कजरी निरंजनपुर निवासी गुरविंदर सिंह उर्फ गोल्डी को वर्ष 2021-22 में यूपीएसएस का गेंहू ढुलाई का ठेका मिला था, लेकिन इसका भुगतान नहीं किया गया। गोल्डी ने जब यूपीएसएस के जिला प्रबंधक शिव अवतार कुशवाहा से भुगतान दिलाने को कहा था। आरोप है कि जिला प्रबंधक ने ठेकेदार से इसके एवज में डेढ़ लाख रुपये रिश्वत की मांग की थी। गोल्डी ने मामले की शिकायत भ्रष्टाचार निवारण संगठन बरेली कार्यालय में की। जिसके तहत जिला प्रबंधक को रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ने की योजना तैयार की गई थी।
छापामार टीम में शामिल थे ग्यारह कर्मी
भ्रष्टाचार निवारण संगठन बरेली की ओर से विगत 30 मार्च को यूपीएसएस जिला प्रबंधक कार्यालय में छापा मारने के लिए बरेली और मुरादाबाद के ग्यारह कर्मचारियों को शामिल किया गया था। टीम ने शिकायतकर्ता को साथ लेकर जिला प्रबंधक कार्यालय में छापा मारा था। लेकिन कुछ ही घंटे में मामला पलट गया। दरअसल छापामार टीम ने जिला प्रबंधक कार्यालय से रिश्वत की रकम नहीं मिलने की बात कहकर चौंकाने वाला तथ्य उजागर किया था। जबकि शिकायतकर्ता ने टीम पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि तयशुदा प्लान के तहत उसने जिला प्रबंधक को रिश्वत की रकम दी थी। गोल्डी ने वीडियो वायरल कर आरोप लगाया कि टीम ने मौके पर ही मामला रफादफा करते हुए जिला प्रबंधक से उसे भुगतान संबंधी चेक दिलवा दिया था। टीम के इस रवैये के कारण ही यह ट्रैप फेल हुआ था। हालांकि जिला प्रबंधक को शासन स्तर से निलंबित कर दिया गया था।
डीआइजी ने कराई थी टीम की जांच
भ्रष्टाचार निवारण संगठन के डीआइजी लखनऊ राजीव मल्होत्रा ने मामले का संज्ञान लेते हुए लखनऊ के डिप्टी एसपी विष्णुदेव से छापामार टीम की भूमिका की जांच कराई थी। सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में ट्रैप फेल होने के लिए पूरी टीम को दोषी पाया गया है। रिपोर्ट में टीम की लापरवाही उजागर करते हुए जांच अधिकारी ने प्रभावी नेतृत्व का अभाव, पर्यवेक्षण का अभाव, लापरवाही, प्रोटोकाल व प्रक्रिया का उल्लंघन आदि बिंदुओं का उल्लेख किया है। इतना ही नहीं इस जांच रिपोर्ट को एक अन्य डीएसपी द्वारा क्रास चेक भी कराया गया। जिसके बाद पुलिस महानिदेशक भ्रष्टाचार निवारण संगठन द्वारा रिपोर्ट स्वीकृत करते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की गई। अब डीआइजी राजीव मल्होत्रा ने टीम में शामिल सभी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है।
टीम में शामिल कर्मचारी
ट्रैप टीम प्रभारी व प्रभारी निरीक्षक भ्रष्टाचार निवारण संगठन बरेली इकाई शैलेंद्र सिंह, बरेली इकाई के निरीक्षक ओम प्रकाश सिंह, बरेली इकाई के उपनिरीक्षक विजय बहादुर सिंह, आरक्षी देवेंद्र सिंह, मुख्य आरक्षी राकेश त्रिपाठी, आरक्षी चालक नितेश कुमार थे। इसके अलावा मुरादाबाद इकाई के निरीक्षक राखी, निरीक्षक नवल मारवाह, मुख्य आरक्षी विजय कुमार, आरक्षी अनुराग भारद्वाज, मुख्य आरक्षी चालक सौराज सिंह शामिल थे।
ट्रैप फेल होने के कारणों की जांच रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। टीम में शामिल सभी ग्यारह कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जवाब आने के बाद पूरी टीम पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
- राजीव मल्होत्रा, डीआइजी, विजिलेंस लखनऊ