नेपाल बार्डर पर बनेगी 37 किमी लंबी सड़क
पड़ोसी देश नेपाल से सटी सीमा पर पक्की सड़कों का निर्माण कराया जाएगा। पीलीभीत समेत प्रदेश के सात जिलों की सीमा नेपाल से लगी है। इन सभी जिलों में बार्डर पर सड़क का निर्माण कराया जाना है। इस जिले में सीमा पर जंगल और उसमें वन्यजीवों का वास होने के कारण सड़क निर्माण में वन विभाग की स्वीकृति आवश्यक है। बार्डर एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी की ओर से दो बार वन विभाग को प्रस्ताव दिया गयालेकिन दोनों बार उसमें कमियां होने की वजह से निरस्त कर दिया गया। इन दिनों बार्डर पर सर्वे ऑफ इंडिया एवं सर्वे ऑफ नेपाल के संयुक्त सहमति से सीमांकन व पिलर लगाने का कार्य चल रहा है।
जागरण संवाददाता, पीलीभीत : पड़ोसी देश नेपाल से सटी सीमा पर पक्की सड़कों का निर्माण कराया जाएगा। पीलीभीत समेत प्रदेश के सात जिलों की सीमा नेपाल से लगी है। इन सभी जिलों में बार्डर पर सड़क का निर्माण कराया जाना है। इस जिले में सीमा पर जंगल और उसमें वन्यजीवों का वास होने के कारण सड़क निर्माण में वन विभाग की स्वीकृति आवश्यक है। बार्डर एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी की ओर से दो बार वन विभाग को प्रस्ताव दिया गया,लेकिन दोनों बार उसमें कमियां होने की वजह से निरस्त कर दिया गया। इन दिनों बार्डर पर सर्वे ऑफ इंडिया एवं सर्वे ऑफ नेपाल के संयुक्त सहमति से सीमांकन व पिलर लगाने का कार्य चल रहा है। यह कार्य पूरा होने के बाद बार्डर एरिया डेवलपमेंट के तहत सड़क निर्माण के प्रस्ताव को वन विभाग की स्वीकृति मिलने की संभावना है।
तराई के इस जिले में पड़ोसी देश नेपाल का लगभग 40 किमी का बार्डर है। बार्डर से सटकर भारतीय इलाके में पक्की सड़क का निर्माण होना है। दोंनों देशों की सीमा पर काफी बड़ा जंगल क्षेत्र पड़ता है। इस जंगल में भी विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों का वास रहता है। सड़क जंगल से होकर बननी है। ऐसे में पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन की अनुमति आवश्यक है। बार्डर एरिया डेवलपमेंट ने पहले टू लेन की सात मीटर चौड़ी सड़क बनाने का प्रस्ताव किया था, जिस पर पीटीआर ने आपत्ति कर दी। इतनी चौड़ी सड़क बनने से वन्यजीव प्रभावित हो सकते हैं। अब प्रस्तावित सड़क की चौड़ाई घटाकर नया प्रस्ताव बनाने की कवायद शुरू हो गई है। फिलहाल बार्डर पर पिलर बनाने का कार्य चल रहा है। कार्य के पूरा होने के बाद ही बार्डर एरिया डेवलपमेंट को वन विभाग की ओर से 3.75 मीटर चौड़ी पक्की सड़क का निर्माण कराने की अनुमति मिल जाने की संभावना है। बार्डर एरिया पर सड़क का निर्माण दरअसल सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की सुविधा के लिए किया जाना है, जिससे बार्डर के दुर्गम इलाकों में एसएसबी के जवानों, अफसरों वाहनों से आवागमन करने में कोई दिक्कत न हो। सामरिक ²ष्टिकोण से इस सड़क का महत्व काफी अधिक माना जा रहा है।
प्रदेश में कुल सात जिले ऐसे हैं, जिनकी सीमा नेपाल से लगी है। इनमें छह जिलों में जंगल पड़ता है। ऐसे में वन विभाग की अनुमति आवश्यक है। पीलीभीत जिले में बार्डर पर 37 किमी लंबी सड़क बननी है, इसके लिए प्रस्ताव वन विभाग को दिया गया था। विभाग ने सात मीटर चौड़ी सड़क पर यह आपत्ति कर दी कि इससे वन्यजीव प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में अब 3.75 मीटर चौड़ी सड़क का प्रस्ताव तैयार कराया जाएगा। जिले में 2.8 किमी ऐसा बार्डर एरिया है, जहां जंगल नहीं है। वहां पर सड़क का निर्माण करा दिया गया है।
-प्रवीण अरोड़ा, अधिशासी अभियंता बार्डर एरिया डेवलपमेंट नेपाल बार्डर पर सड़क निर्माण का मसला काफी समय से चल रहा है। बार्डर एरिया डेवलपमेंट की ओर से दो बार प्रस्ताव भेजा गया,लेकिन उसमें कमियां होने की वजह से दोनों बार उच्चाधिकारियों ने प्रस्ताव निरस्त कर दिया। बार्डर पर नो मेंस लैंड एरिया से दस मीटर छोड़कर सड़क निर्माण कराने के लिए सर्वे हो रहा है। बार्डर पर पिलर लगाने का काम चल रहा है। कितने पिलर लगते हैं, इसके बाद तय होगा सड़क कैसे बननी है।
-नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर पीलीभीत टाइगर रिजर्व