Move to Jagran APP

पहले विश्व कप की सिल्वर जुबली का गवाह बना था, ग्रेनो

धर्मेंद्र चंदेल ग्रेटर नोएडा 1983 विश्व कप के रजत जयंती समारोह का गवाह ग्रेटर नोएडा बना थ

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 08:56 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 08:56 PM (IST)
पहले विश्व कप की सिल्वर जुबली का गवाह बना था, ग्रेनो
पहले विश्व कप की सिल्वर जुबली का गवाह बना था, ग्रेनो

धर्मेंद्र चंदेल, ग्रेटर नोएडा :

loksabha election banner

1983 विश्व कप के रजत जयंती समारोह का गवाह ग्रेटर नोएडा बना था। कपिल देव विश्व विजेता टीम के योद्धाओं को लेकर 22 जून 2008 को ला‌र्ड्स ऑफ 83 में भाग ग्रेटर नोएडा के गोल्फ कोर्स पहुंचे थे। सुनील गावस्कर, श्रीकांत व मोहिदर अमरनाथ समेत सभी दिग्गज कार्यक्रम में जुटे थे। दिनभर चले कार्यक्रम में टीम के सभी सदस्यों ने एक-एक कर ड्रेसिग रूम के संस्मरण सुनाए थे। विश्वकप की यादों को लेकर कपिल देव समेत कई खिलाड़ी भावुक भी हो गए थे। खिलाड़ियों ने कहा था कि टीम की जीत एकजुटता का परिणाम थी। देश के लिए कुछ करने का जुनून था। वेस्टइंडीज को हराना आसान नहीं था। 83 से पहले वह दो बार विश्वकप जीत चुका था। देश के लिए कुछ करने के जुनून ने खिलाड़ियों में ऐसा जोश भरा की असंभव लग रही जीत को संभव कर दिखाया। कपिल देव ने कहा था कि अलग-अलग संस्कृति और राज्यों के होने के बावजूद टीम के सदस्यों में मजबूत रिश्ता था। खिलाड़ियों से जो कहा गया, उन्होंने मान लिया। इससे जीत का रास्ता आसान हो गया था। खिलाड़ियों ने बताया था कि विश्व कप का फाइनल जीतने के बाद रात में जब लंदन स्थित एक होटल में मौज-मस्ती की जा रही थी, तब कीर्ति आजाद अपने साथी खिलाड़ियों रोजर बिन्नी व रवि शास्त्री को स्वीमिग पूल में धकेल रहे थे। तभी टीम के अन्य साथियों ने कीर्ति आजाद को स्वीमिग पूल में धकेल दिया। उन्हें तैरना नहीं आता था। वे डूबने लगे। रवि शास्त्री और बिन्नी ने उन्हें बचाया। सलामी बल्लेबाज रहे श्रीकांत ने रोचक संस्मरण सुनाते हुए बताया था कि तब मेरी और रोजर बिन्नी की अंग्रेजी अच्छी नहीं थी। कपिल देव की वजह से वे अंग्रेजी बोलने और समझने लगे थे। कीर्ति आजाद रात में पानी में बादाम भिगोते थे। सुबह वे उन्हें खाते थे। इससे उनमें चौके-छक्के मारने की ताकत आती थी।

कार्यक्रम के दौरान यशपाल शर्मा ने संस्मरण सुनाते हुए कहा था कि एक मैच में मैंने 89 रन बनाए। उसी मैच से भारत के विश्व कप जीतने की आधार शिला रखी। गार्डन ग्रीनिज, डेसमंड हेंस, विवियन रिचर्डस, क्लाइव लार्ड व सुनील गावस्कर की मौजूदगी में मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार लेना अविस्मरणीय पल था, जिसको भुलाया नहीं जा सकता। 83 विश्व कप के सेमीफाइनल व फाइनल के मैन ऑफ दा मैच रहे मोहिदर अमरनाथ ने कहा था कि भारत की जीत एक व्यक्ति की मेहनत का परिणाम नहीं थी, बल्कि सभी खिलाड़ियों ने अपना सौ फीसद योगदान दिया था। बाक्स

मदनलाल ने जब, कपिल से मांगी गेंद

मदनलाल ने फाइनल मैच के दौरान के उस संस्मरण को सुनाया था, जिसके बाद पासा पलटा। उन्होंने बताया था कि फाइनल मैच में बड़े खिलाड़ी को आउट नहीं किया जाता तो मैच जीतना संभव नहीं था। फाइनल मैच में भारत ने वेस्टइंडीज पर शुरू से ही दबाव बनाना शुरू कर दिया था, लेकिन विवियन रिचर्डस मैच का पासा पलटने की कुव्वत रखते थे। मुझे लगा कि इस महत्वपूर्ण विकेट को मैं ले सकता हूं, इसलिए मैने कपिल देव से गेंद मांग ली। कपिल मुझसे बाद में ओवर करना चाहते थे। मैंने जिद करके गेंद ली। मेरी फेंकी गेंद पर रिचर्डस फंस गए। कपिल ने भागते हुए उनका कैच लिया। रिचर्डस का विकेट गिरने के बाद वेस्टइंडीज फिर दबाव से उभर नहीं पाया। बाक्स

कपिल ने बढ़ाया था टीम का उत्सास

उस समय टीम के मैनेजर रहे पीआर मान सिंह ने भी रजत जयंती समारोह में अपने संस्मरण सुनाए थे। उन्होंने बताया था कि जिम्बाब्वे के खिलाफ 17 रन पर पांच विकेट गिर गए थे। ड्रेसिग रूप में सन्नाटा छा गया था। कपिल ने रोजर बिन्नी के साथ मिलकर ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की। चायकाल के समय वे ड्रेसिग रूम में आए तो टीम के अन्य सदस्यों के चेहरे मुरझा हुए थे। तब कपिल बोले, क्या हुआ, मैच हम ही जीतेंगे। इससे टीम में उत्साह भर गया। कपिल ने 175 रन की पारी खेली।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.