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वेंडरों को अब तक क्यों नहीं किया शिफ्ट, कारण बताएं

जागरण संवाददाता नोएडा नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रितु माहेश्वरी ने वेंडिंग जोन से संबंधित अधिकारियों के साथ ऑनलाइन समीक्षा बैठक की।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 12:51 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 12:51 AM (IST)
वेंडरों को अब तक क्यों नहीं किया शिफ्ट, कारण बताएं

जागरण संवाददाता, नोएडा : नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रितु माहेश्वरी ने वेंडिंग जोन से संबंधित अधिकारियों के साथ ऑनलाइन समीक्षा बैठक की। इसमें अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रवीण मिश्र, ओएसडी इंदु प्रकाश सिंह, महाप्रबंधक राजीव त्यागी समेत सभी वर्क सर्किल वरिष्ठ प्रबंधक मौजूद रहे। महाप्रबंधक ने वेंडिंग जोन की वर्तमान स्थिति से मुख्य कार्यपालक अधिकारी को अवगत कराया। सीईओ ने मौके पर जाकर जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। कहा कि जांच में जो पात्र पाए गए हैं, उनके संबंधित में प्रकिया पूरी करें। पथ विक्रेताओं की स्थिति स्पष्ट करें

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महाप्रबंधक राजीव त्यागी ने बताया कि जिन पथ विक्रेताओं को आवंटन किया जा चुका है, उनमें से 2147 ने शुल्क जमा करा दिया है। इनमें से 1307 विक्रेताओं को वेंडिंग जोन में शिफ्ट किया जा चुका है। इस पर सवाल उठाते हुए सीईओ ने कहा कि फीस जमा कर चुके 800 विक्रेताओं को अब तक शिफ्ट क्यों नहीं किया गया, इसका कारण बताएं। इसके अलावा बाकी पथ विक्रेताओं की क्या स्थिति है, इसकी भी स्थिति स्पष्ट करें। वेंडिग जोन से संबंधित प्रक्रिया को जल्द पूरा करने के निर्देश

सीईओ ने अब तक जारी लाइसेंस के बारे में जानकारी मांगी। ऑनलाइन बैठक में वरिष्ठ प्रबंधकों ने बताया कि कोविड-19 के कारण मौके पर पथ विक्रेता उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण सर्वेक्षण का काम पूरा होने में दिक्कत आ रही है। इस पर सीईओ ने वेंडिंग जोन से संबंधित प्रक्रिया को जल्द पूरा करने का निर्देश दिया। नए वेंडरों के आवेदन ऑनलाइन प्राप्त किए जाएंगे

ओएसडी इंदु प्रकाश सिंह ने बताया कि वेंडिंग जोन के कामकाज के लिए नई वेबसाइट तैयार की गई है। पथ विक्रेताओं को व्यवस्थित करने को गठित की जाने वाली नगर पथ विक्रय समिति में पथ विक्रेताओं के मध्य से प्रतिनिधियों एवं एनजीओ के चयन के लिए आवेदन वेबसाइट के जरिये प्राप्त किए जाएंगे। समिति के गठन के बाद नए वेंडर के आवेदन ऑनलाइन प्राप्त किए जाएंगे। फार्म प्राप्त करने से लेकर लाइसेंस जारी करने तक समस्त प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। पथ विक्रेताओं को प्राधिकरण कार्यालय आने की जरूरत नहीं पड़ेगी।


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