नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में बैठेगा कौन, शासन के पाले में गेंद
जागरण संवाददाता नोएडा नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में कोई जनप्रतिनिधि शामिल हो सक
जागरण संवाददाता, नोएडा :
नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में कोई जनप्रतिनिधि शामिल हो सकता है या नहीं, यह तय करने की जिम्मेदारी शासन की है। नोएडा प्राधिकरण द्वारा इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। लंबे समय से नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में जनप्रतिनिधि को शामिल करने की मांग विभिन्न संगठनों द्वारा उठाई जाती रही है। आखिर नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में नोएडा का प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधियों में कोई शामिल क्यों नहीं होता, इस मामले में सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत जब जानकारी मांगी गई, तो प्राधिकरण द्वारा स्पष्ट किया गया कि बोर्ड के सदस्यों का चयन उत्तर प्रदेश शासन द्वारा किया जाता है।
नोवरा अध्यक्ष रंजन तोमर द्वारा लगाई गई आरटीआइ में तीन सवाल पूछे गए थे। पहले सवाल में रंजन तोमर ने पूछा था कि प्राधिकरण की क्या बोर्ड बैठक में सरकार द्वारा नामित व्यक्ति ही बैठ सकता है और हिस्सा ले सकता है, कोई जनप्रतिनिधि किस तरह से बोर्ड बैठक में शामिल हो सकता है। इसके जवाब में प्राधिकरण ने बताया कि बोर्ड के सदस्यों का चयन उत्तर प्रदेश शासन द्वारा किया जाता है। इससे साफ है कि शासन के पास किसी भी आम इंसान अथवा जनप्रतिनिधि को बोर्ड मीटिग में बैठने देने का अधिकार है। शासन बोर्ड मीटिग के लिए किसी भी व्यक्ति को कर सकता है नामित अथवा चयनित किए जाने के सवाल के जवाब में बताया गया कि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा चयनित सदस्य अथवा उनके द्वारा नामित प्रतिनिधि द्वारा बोर्ड बैठक में प्रतिभाग लिया जा सकता है। वहीं पूर्व में हुई बोर्ड बैठक में अधिकारियों के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति के बैठने के बारे में पूछे गए सवाल में जवाब में बताया गया कि उनके बारे में सूचना संकलित नहीं की गई।
रंजन तोमर का कहना है कि आरटीआइ से साफ हो गया कि सरकार कोई भी रही हो, 1976 से लगातार होने वाली बोर्ड बैठक, जो पूरे नोएडा का भविष्य निर्धारित करती हैं और आम जनता के पैसे का हिसाब कहां और कैसे लगना है इस बाबत निर्णय लेती हैं, उसमें सिर्फ दो बार ही प्राधिकरण अधिकारियों के अलावा किसी को बैठने का मौका दिया गया। उन्होंने शासन व मुख्यमंत्री से मांग की है कि लोकतंत्र सशक्तीकरण के लिए बोर्ड बैठक में ग्रामीण, आरडब्ल्यूए, एओए व जनप्रतिनिधियों में से नामित अथवा चयनित व्यक्तियों को बैठने का अधिकार मिले।