आबोहवा को बेहतर बनाने में सहारा बनेगी साप्तहिक बंदी
जागरण संवाददाता नोएडा कोविड-19 महामारी की रोकथाम को हुए लॉकडाउन से जहां शहर
जागरण संवाददाता, नोएडा :
कोविड-19 महामारी की रोकथाम को हुए लॉकडाउन से जहां शहर की आबोहवा साफ व मृतप्राय नदियां जीवित हो गई है, वहीं अब साप्ताहिक बंदी ने प्रदूषण नियंत्रण विभाग की उम्मीद बढ़ा दी। पहले से साफ हवा में कर कोई खुलकर सांस ले रहा है। हवा बेहतर होने से सांस व दमा के मरीजों की तकलीफ भी काफी हद तक कम हुई। देश पटल पर टॉप-10 सूची में शुमार नोएडा का एक्यूआइ वर्तमान में 48 है। जबकि लॉकडाउन से पहले इसकी सूई 500 पर टिकी रहती थी। आसमान से छाए स्मॉग से आंखों में जलन और जहरीली हवा से फेफड़े फटने को रहते थे।
कोरोना से पूर्व प्रदूषण जिले की मुख्य समस्याओं में से एक था। हवा में घुले प्रदूषण को कम करने के लिए विभाग ने वर्ष 2019-20 में औद्योगिक इकाइयां, गांव, सेक्टर व सोसायटियों में अभियान चलाकर 5 करोड़ रुपये जुर्माने तक लगाया। लेकिन तमाम मेहनत व कार्रवाई निष्फल साबित हो रही थी। लॉकडाउन खत्म होने के बाद विभाग को एक बार फिर प्रदूषण की चिता सताने लगी तो अब प्रदेश में हुई साप्ताहिक बंदी ने विभागीय अधिकारियों में फिर उम्मीद जिदा कर दी है। बंदी में भी चालू औद्योगिक इकाइयों को प्रदूषण विभाग ने ईधन व कई उपकरणों के रख-रखाव व तकनीकी मेंटीनेंस स्टेबलाइजेशन दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही साप्ताहिक बंदी में किस तरह से प्रदूषण को इसी स्थिति में रखा जा सकता है, इसके लिए भी कार्ययोजना तैयार कर ली है।
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ये रहेगी प्रदूषण विभाग की प्राथमिकता
- औद्योगिक इकाइयों को स्वच्छ ईधन व बेहतर उपकरण पर लाना
- पौधारोपण, इलेक्ट्रॉनिक वाहनों व साइकलिग के प्रति जागरूकता फैलाना
- परिवहन विभाग के साथ मिलकर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली मजबूत कराना
- नियम विरूद्ध कार्य करने वालों पर शिकंजा कसना
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शहर का एक्यूआइ
सेक्टर 116- 48
सेक्टर 62- 92
सेक्टर 1- 95
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कोट--
प्रदूषण नियंत्रण को साप्ताहिक बंदी ने उम्मीद बढ़ा दी है, 150 एक्यूआइ तक हवा साफ मानी जाती है। साप्ताहिक बंदी में औद्योगिक इकाइयां चालू है, विभाग इसपर काम कर रहा है। शहर वासियों में कूड़ा न जलाने को लेकर भी जागरूकता फैलाई जाएगी।
प्रवीण कुमार, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी, नोएडा