सालारपुर गांव में मूलभूत सुविधाएं नहीं, ग्रामीणों में रोष
दनकौर विकास खंड के सालारपुर समेत दर्जनों गांव उपेक्षा के शिकार हैं। ग्रामीण यमुना प्राधिकरण से विकास की आस लगाए हुए हैं लेकिन मूलभूत सुविधाएं कब मुहैया होंगी यह पता नहीं है। सुविधाओं के अभाव में ग्रामीणों में विकास प्राधिकरण के प्रति रोष पनप रहा है।
संवाद सहयोगी, दनकौर: दनकौर विकास खंड के सालारपुर समेत दर्जनों गांव उपेक्षा के शिकार हैं। ग्रामीण यमुना प्राधिकरण से विकास की आस लगाए हुए हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाएं कब मुहैया होंगी, यह पता नहीं है। सुविधाओं के अभाव में ग्रामीणों में विकास प्राधिकरण के प्रति रोष पनप रहा है।
सालारपुर गांव की जनसंख्या करीब चार हजार है। गांव में इन दिनों गंदगी का अंबार है। बिजली के जर्जर तारों में रोजाना उठती चिगारी से ग्रामीणों में भय का माहौल है। उनका कहना है कि उनकी जमीन अधिगृहीत होने के बाद गांवों के विकास की जिम्मेदारी प्राधिकरण ने ली थी। जिसके चलते पंचायती व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया। उस समय लोग काफी खुश थे। उन्हें उम्मीद थी कि प्राधिकरण गांव के विकास में चार चांद लगाएगा। मगर गांव की स्थिति पहले से भी बदतर हो गई है। रास्ते खस्ताहाल हैं और नालियों में कीचड़ भरा हुआ है। बिजली के तार जर्जर हो चुके हैं। ---कोट---
वर्ष 2009 में गांव की जमीन का यमुना प्राधिकरण ने अधिग्रहण किया था। गांव के विकास की जिम्मेदारी पूरी नहीं की। कई बार प्राधिकरण कार्यालय में इसके लिए शिकायत भी दी गई, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
-प्रताप नागर सड़कें टूट चुकी हैं। नालियों में कीचड़ भरा है। सड़कों पर घास उग आई है। सफाईकर्मी गांव में काम नहीं करते हैं, इस कारण चारो ओर गंदगी है। लोग काफी परेशान हैं।
-करतार सिंह अनदेखी के कारण गांव में मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है। संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। पिछले कई वर्षों से पूर्व प्रधान कीटनाशक दवाओं का छिड़काव और फॉगिग करवा रहे हैं।
-सुभाष नागर क्षेत्र के कुछ गांव को स्मार्ट विलेज बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई। जिससे उनकी स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है। यदि सालारपुर गांव को भी स्मार्ट विलेज की सूची में शामिल कर लिया जाए तो लोग राहत महसूस करेंगे।
- इंद्रजीत नागर प्राधिकरण अधिसूचित गांवों में विकास कार्य करा रहा है। स्मार्ट विलेज की योजना पर कुछ गांव में काम शुरू हो चुका है। अन्य गांवों में भी योजना के तहत जल्द कार्य शुरू होंगे।
- रविद्र सिंह, एसीईओ यमुना प्राधिकरण