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गंगाजल परियोजना के लिए बने यूजीआर शौचालय

गंगाजल परियोजना के तहत बनाए गए यूजीआर (भूमिगत जलाशय) अब शौचालय के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे हैं। शहरवासियों के लिए पेय जल उपलब्ध कराने व भूजल दोहन से निजात दिलाने के लिए शुरू की गई महत्वाकांक्षी परियोजना ठप हो चुकी है। परियोजना के लिए बनाए गए यूजीआर भी बदहाल हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 08:06 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 08:06 PM (IST)
गंगाजल परियोजना के लिए बने यूजीआर शौचालय

पंकज मिश्रा, ग्रेटर नोएडा : गंगाजल परियोजना के तहत बनाए गए यूजीआर (भूमिगत जलाशय) अब शौचालय के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे हैं। शहरवासियों के लिए पेयजल उपलब्ध कराने व भूजल दोहन से निजात दिलाने के लिए शुरू की गई महत्वाकांक्षी परियोजना ठप हो चुकी है। परियोजना के लिए बनाए गए यूजीआर भी बदहाल हैं। स्थिति यह है कि उनको अब जिले के ग्रामीण शौच के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

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जैतपुर गांव में गंगाजल परियोजना के लिए बनाए गए यूजीआर में चारों तरफ गंदगी पसरी हुई है। जैतपुर के ग्रामीण परियोजना के लिए बनाए गए टैंक के अंदर शौच कर रहे हैं। इनमें अधिकांश युवा वर्ग शामिल है, लेकिन जिम्मेदार इससे बेपरवाह हैं। परियोजना के लिए बनाए गए भूमिगत टैंक के ऊपर बिठाई गई टाइल्स उखड़ रही है। गंगाजल परियोजना पर शासन ने करोड़ों खर्च किया था, लेकिन आज तक योजना परवान नहीं चढ़ पाई है। उचित देखभाल न होने से जैतपुर गांव में बनाया गया भूमिगत टैंक खंडहर में तब्दील हो चुका है।

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क्या है गंगाजल परियोजना

शासन स्तर से गंगाजल परियोजना की योजना 2002-03 में बनी थी। इसके तहत गंगनहर से पानी लेकर उसको शोधन कर एक बड़े टैंक में जमा किया जाना था और वहां से इसे पाइपलाइन के जरिए घरों में पहुंचाया जाना था, लेकिन भूमि अधिग्रहण में हुई देरी व अन्य कारणों से परियोजना परवान नहीं चढ़ पाई। स्थिति यह है कि तय समय के दस वर्ष बाद भी आज तक शहरवासियों को गंगाजल उपलब्ध नहीं हो सका है और इसका दुरुपयोग किया जा रहा है। योजना का मुख्य उद्देश्य जिले में निरंतर गिरते भूजल स्तर को रोकना व शहरवासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना था।

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85 क्यूसेक जल वितरण की क्षमता

गंगाजल परियोजना के तहत ¨सचाई विभाग द्वारा 85 क्यूसेक जल प्रतिदिन शहर को दिया जाना था। योजना के मुताबिक गंगनहर से गंगाजल लाने के लिए हापुड़ के देहरा से ग्रेटर नोएडा के पल्ला गांव तक पाइपलाइन बिछाई गई है, जिसकी लंबाई लगभग 26 किलोमीटर है। पल्ला गांव में जल शोधन केंद्र बनाया गया है, लेकिन समय पर कार्य पूरा न होने के कारण आज तक योजना का लाभ शहरवासियों को नहीं मिल पाया है।

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नहीं मिली भूजल दोहन से निजात

केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के आकड़ों पर गौर करें तो जिले का भूजल स्तर प्रति वर्ष लगभग डेढ़ मीटर तक नीचे जा रहा है, क्योंकि जिले में जितना भी जल उपयोग में लाया जा रहा है, वह जमीन से दोहन कर निकाला जाता है। गंगाजल परियोजना के जरिए यदि शहरवासियों को पेयजल मिलने लगता तो भूजल दोहन पर काफी हद तक लगाम लगती, लेकिन योजना के खटाई में पड़ने के कारण भूजल में गिरावट रोकने की सारी कवायद धरी की धरी रह गई।

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परियोजना के बारे में संक्षिप्त जानकारी

परियोजना का नाम - गंगाजल परियोजना

कुल लागत (अनुमानित) - 300 करोड़

जल वितरण की क्षमता (प्रतिदिन) - 85 क्यूसेक

कब बनी योजना - 2002-03

गंगाजल वितरण शुरू होने का घोषित वर्ष - 2010

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गंगाजल परियोजना के शुरू होने में जो भी अड़चने हैं, उन्हें दूर करने की कोशिश की जा रही है। जल्द से जल्द शहरवासियों को गंगाजल उपलब्ध कराया जाएगा।

- केके गुप्ता, एसीईओ ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण


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