Move to Jagran APP

पेशे की यही रीत है, डर के आगे जीत है

चंद्रशेखर वर्मा ग्रेटर नोएडा नर्सिग की पढ़ाई करते समय अंजलि ने सोचा नहीं था कि ऐसा समय भी आएगा जब मेडिकल स्टाफ के परीक्षा की घड़ी आएगी। दिन-रात मरीजों को बचाने की जद्दोजहद के बीच खुद को भी सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी। बावजूद कई डॉक्टर्स व मेडिकल स्टाफ कोरोना का शिकार हो चुके हैं लेकिन महामारी में मोर्चे पर डटकर खड़े हैं। अंजलि कहती हैं कि इस पेशे की यही रीत है डर के आगे जीत है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 09:50 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 09:50 PM (IST)
पेशे की यही रीत है, डर के आगे जीत है
पेशे की यही रीत है, डर के आगे जीत है

चंद्रशेखर वर्मा, ग्रेटर नोएडा

loksabha election banner

नर्सिग की पढ़ाई करते समय अंजलि ने सोचा नहीं था कि ऐसा समय भी आएगा, जब मेडिकल स्टाफ के परीक्षा की घड़ी आएगी। दिन-रात मरीजों को बचाने की जद्दोजहद के बीच खुद को भी सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी। बावजूद कई डॉक्टर्स व मेडिकल स्टाफ कोरोना का शिकार हो चुके हैं, लेकिन महामारी में मोर्चे पर डटकर खड़े हैं। अंजलि कहती हैं कि इस पेशे की यही रीत है, डर के आगे जीत है।

अंजलि भाटी परिवार के साथ बीटा-1 सेक्टर में रहती हैं। पति सचिन निजी संस्थान में नौकरी करते हैं। नौ वर्षीय बड़ी बेटी साक्षी है। चार वर्षीय बेटा हिमांक है। अंजलि कासना स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में स्टाफ नर्स के तौर पर कार्यरत हैं। यहां उनकी एक वर्ष पहले ही नौकरी लगी है। वर्तमान में जिम्स में ड्यूटी आइसोलेशन वार्ड के आइसीयू में तैनात हैं। वह इन दिनों होम क्वारंटाइन हैं। अंजलि बताती हैं कि पहले भी आइसीयू ड्यूटी के दौरान गंभीर मरीजों के साथ ही रहते थे। कोरोना काल ऐसा वक्त है, जहां खुद को भी सुरक्षित रखना है और गंभीर रूप से संक्रमितों को भी बचाना है। शुरुआत में कोरोना की ड्यूटी लगी तो घबराहट हुई। धीरे-धीरे मन से सब डर निकल गया। मरीज जब ठीक होकर घर जाते तो सुखद अनुभूति होती। कोरोना में ड्यूटी लगी तो परिवार से काफी सहयोग मिला। पति के अलावा घर पर कोई नहीं था। ऐसे में दोनों बच्चों को गाजियाबाद स्थित नाना-नानी के घर भेज दिया। बड़ी बेटी समझदार है। कहती है कि आप अच्छा काम कर रही हैं। पति कहते हैं कि जीवन के कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ते रहो। पीछे हटोगी तो कैसे काम चलेगा। ड्यूटी के बाद होटल में क्वारंटाइन रहना पड़ता था। इस दौरान वीडियो कॉल पर पति व बच्चों से बात कर लेती थी। अच्छा लगता है कि जब लोग कोरोना योद्धा की तरह सम्मान करते हैं। हालांकि, कुछ लोग ऐसा व्यवहार भी करते हैं कि कोरोना खुद आ गया हो। बावजूद शिद्दत से कर्तव्य का निर्वहन कर रही हूं। चाहती हूं कि दोबारा से कोराना की ड्यूटी लगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.