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आपत्तियों में फार्म हाउस मालिकों के नाम आए सामने

जागरण संवाददाता नोएडा फार्म हाउस ध्वस्तीकरण के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर याचिकाकर्ताओं ने प्राधिकरण में 100 से ज्यादा आपत्ति आई हैं। इससे एक फायदा तो यह हुआ कि प्राधिकरण को अब यह पता चल रहा है कि फार्म हाउस के असली मालिक कौन है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 08:27 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 08:27 PM (IST)
आपत्तियों में फार्म हाउस मालिकों के नाम आए सामने
आपत्तियों में फार्म हाउस मालिकों के नाम आए सामने

जागरण संवाददाता, नोएडा : फार्म हाउस ध्वस्तीकरण के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर याचिकाकर्ताओं ने प्राधिकरण में 100 से ज्यादा आपत्ति आई हैं। इससे एक फायदा तो यह हुआ कि प्राधिकरण को अब यह पता चल रहा है कि फार्म हाउस के असली मालिक कौन है। हालांकि इन आपत्तियों में वह मालिक सामने नहीं आए हैं, जिनके फार्म हाउस को प्राधिकरण ने ध्वस्त किया है। इनकी संख्या 124 है। इन आपत्ति दर्ज कराने वालों की एक सूची प्राधिकरण में तैयार हो रही है, ताकि इनकी आपत्तियों का जवाब दिया जा सके। प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि आपत्तियों के जवाब देने में 10 दिन का समय नाकाफी है। ऐसे में कोर्ट में समय-सीमा बढ़ाने के लिए याचिका दायर होगी। जवाब देने में कम से कम एक माह से अधिक समय लग सकता है। हालांकि अधिकारियों ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि इस दौरान कार्रवाई जारी रहेगी या फिर रोक दी जाएगी।

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रजिस्ट्री तक के कागज किए प्रस्तुत : जिन फार्म हाउस संचालकों ने एसोसिएशन से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, उन्होंने रजिस्ट्री के कागज तक लगाए हैं। प्राधिकरण ने बताया कि यमुना डूब क्षेत्र प्राधिकरण अधिसूचित क्षेत्र में है। यहां बिना प्राधिकरण के एनओसी जारी किए निर्माण नहीं किया जा सकता है। ऐसी जो भी रजिस्ट्री हुई, सदर या दादरी से कराई गई है। इनको भी देखा जा रहा है। डूब क्षेत्र में बनी है आरडब्ल्यूए : चौंकाने वाली बात यह है कि यहां ऐसे पक्के निर्माण में जहां 100 से ज्यादा परिवार रह रहे हैं, इनकी अपनी एक पंजीकृत आरडब्ल्यूए भी है। इनके कुछ लोग भी कोर्ट की शरण में गए हैं। आपत्तियों में इसका जिक्र भी किया गया है।

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इन आपत्तियों का देना है जवाब

-फार्म हाउस मालिकों ने दावा किया कि 2011 के बाद वाले फार्म हाउस ढांचे को ध्वस्त करने का प्राधिकरण के पास कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि निर्माण अवैध नहीं हैं।

-जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय द्वारा जारी 2016 की एक अधिसूचना का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने बताया कि निर्माण केवल सक्रिय बाढ़ वाले क्षेत्रों तक प्रतिबंधित है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2011 के एक आदेश का हवाला दिया गया। इसमें इलाहाबाद शहर में गंगा नदी के उच्चतम बाढ़ स्तर (एचएफएल) के 500 मीटर के भीतर निर्माण को मना किया गया था।

-याचिकाकर्ताओं ने नोएडा प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाया। उन्होंने दावा किया कि नंगला नंगली और आसपास के गांव, जहां सबसे अधिक संख्या में फार्म हाउस बनाए गए हैं,उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम के तहत अधिसूचित नहीं हैं।

-संबंधित क्षेत्र मास्टर प्लान 2021 का हिस्सा नहीं था। मास्टर प्लान 2031 में इस क्षेत्र को पहली बार रिवर फ्रंट विकास क्षेत्र के रूप में दिखाया गया है। मास्टर प्लान में संशोधन के लिए राज्य सरकार को कई अभ्यावेदन दिए गए हैं।


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