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बची फाइलों को खंगालने आज ग्रेनो प्राधिकरण पहुंचेगी कैग टीम

जागरण संवाददाता ग्रेटर नोएडा नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) की टीम आज सोमवार को एक बार फिर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में पिछली जांच में रह गई कुछ चीजों को खंगालने पहुंचेगी। इसी वर्ष जनवरी में कैग ने बसपा शासनकाल की ऑडिट रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें ग्रेटर नोएडा वेस्ट में औद्योगिक भूखंड का भू उपयोग बदलकर रिहायशी करने बिल्डरों को 10 फीसद रकम पर भूमि आवंटित करने नालेज पार्क में स्पो‌र्ट्स सिटी के तहत जमीन देने के बाद भी कार्य शुरू न होने समेत करीब पांच मामलों की रिपोर्ट तैयार की थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 09:29 PM (IST)Updated: Sun, 04 Apr 2021 09:29 PM (IST)
बची फाइलों को खंगालने आज ग्रेनो प्राधिकरण पहुंचेगी कैग टीम
बची फाइलों को खंगालने आज ग्रेनो प्राधिकरण पहुंचेगी कैग टीम

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) की टीम आज सोमवार को एक बार फिर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में पिछली जांच में रह गई कुछ चीजों को खंगालने पहुंचेगी। इसी वर्ष जनवरी में कैग ने बसपा शासनकाल की ऑडिट रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें ग्रेटर नोएडा वेस्ट में औद्योगिक भूखंड का भू उपयोग बदलकर रिहायशी करने, बिल्डरों को 10 फीसद रकम पर भूमि आवंटित करने, नालेज पार्क में स्पो‌र्ट्स सिटी के तहत जमीन देने के बाद भी कार्य शुरू न होने समेत करीब पांच मामलों की रिपोर्ट तैयार की थी। इसी रिपोर्ट की कुछ और फाइलों का खंगालने आज कैग की टीम आ रही है। रिपोर्ट तैयार होने के बाद तत्कालीन अधिकारियों व कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है।

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प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण का बसपा व सपा शासनकाल की कैग से ऑडिट कराने का फैसला लिया था। कैग ने पहला ऑडिट 2007 से 2012 के बसपा शासनकाल का किया। इसकी रिपोर्ट तैयार हो गई है। इसमें ग्रेटर नोएडा वेस्ट में उद्योग लगाने के नाम पर जमीन खरीदी गई और बाद में भू उपयोग बदलकर रिहायशी कर दिया गया। इसे करीब 200 बिल्डरों को बेच दिया। बादलपुर व सादोपुर में मास्टर प्लान से बाहर 100 एकड़ जमीन खरीदी गई, जिस पर कैग ने आपत्ति जताई।

वर्ष 2010-11 में नालेज पार्क-5 में स्पो‌र्ट्स सिटी बनाने के लिए बिल्डरों को 1.20 लाख वर्गमीटर जमीन आवंटित की गई। इस पर आज तक कोई कार्य नहीं हुआ है। भूमि की 10 फीसद धनराशि लेकर बिल्डरों को जमीन आवंटित की गई। इनमें से कई बिल्डर ऐसे थे, जो परियोजना बनाने की स्थिति में नहीं थे। इस मामले में प्राधिकरण के करीब आठ हजार करोड़ रुपये अटक गए। इन्हीं सब मामलों की कुछ फाइलों की जांच के लिए टीम एक बार फिर प्राधिकरण पहुंच रही है। इसकी रिपोर्ट तैयार कर जल्द शासन को सौंप कार्रवाई शुरू होगी।


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