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शहर में दीमक धीरे-धीरे लील रही पेड़ों की जिदगी

जासं ग्रेटर नोएडा शहर में हरियाली को धीरे-धीरे दीमक चट कर रही है। हरे-भरे पेड़-पौधे लगातार खोखले हो रहे हैं। ग्रेटर नोएडा के सेक्टर ओमीकोन ईटा जीटा सिग्मा समेत कई अन्य सेक्टर व 130 मीटर सड़क पर कई साल पहले रोपित किए गए पेड़-पौधों को दीमक लग गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 07:50 PM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 07:50 PM (IST)
शहर में दीमक धीरे-धीरे लील रही पेड़ों की जिदगी
शहर में दीमक धीरे-धीरे लील रही पेड़ों की जिदगी

जासं, ग्रेटर नोएडा : शहर में हरियाली को धीरे-धीरे दीमक चट कर रही है। हरे-भरे पेड़-पौधे लगातार खोखले हो रहे हैं। ग्रेटर नोएडा के सेक्टर ओमीकोन, ईटा, जीटा, सिग्मा समेत कई अन्य सेक्टर व 130 मीटर सड़क पर कई साल पहले रोपित किए गए पेड़-पौधों को दीमक लग गई है। पर्यावरणविदों के मुताबिक यदि यही हाल रहा, तो आने वाले दिनों में शहर के लाखों हरे-भरे पेड़-पौधे नष्ट हो जाएंगे।

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बता दें कि पर्यावरण संरक्षण के नाम पर हर साल जिले में लाखों पौधे रोपे जाते हैं। उतने ही पौधे साल में जिला प्रशासन व प्राधिकरण अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ जाते हैं। शहर के हरे-भरे पेड़ों को दीमक लग रही है। इससे वह कमजोर हो रहे हैं। पेड़ पौधों की निगरानी व देखरेख करने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बाकायदा उद्यान विभाग बनाया है। पेड़-पौधो की देखरेख के लिए विभाग के पास कर्मचारियों की लंबी फौज भी है, लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बागवानी विभाग को यह दीमक दिखाई नहीं दे रही है। पर्यावरणविद कई बार विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर दीमक दूर करने के लिए उचित कदम उठाने की गुहार भी लगा चुके हैं, पर नतीजा सिफर है।।

वर्जन..

शहरवासियों को स्वच्छ वातावरण और वायु देने वाले पेड़ खुद दम तोड़ रहे हैं। धीरे-धीरे शहर कंकरीट के जंगल में बदलता जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण और पेड़ों की हिफाजत के दावे भी दीमक लगे पेड़ों की तरह खोखले साबित हो गए हैं। सड़कों के इर्द-गिर्द सैकड़ों पेड़ों की दीमक चट कर गई है।

-आरसी कलोडिया, वनस्पति विशेषज्ञ

पेड़ों में दीमक लगने की शुरुआत कई वर्ष पहले हो चुकी है, लेकिन न तो वन विभाग और न ही उद्यान विभाग ने ही पेड़ों को दीमक से बचाने के लिए कोई उपाय किए है। शहर में कई स्थानों पर दीमक की चपेट में आने से खोखले हुए पेड़ हरियाली और छाव की जगह हादसों को न्योता देते दिख रहे हैं।

-सरजीत सिंह, पर्यावरणविद


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