वेटलैंड़ में अव्यवस्था और मौसम की मार से घटी परिदों की प्रजाति
वैभव तिवारी नोएडा जलवायु परिवर्तन के कारण धीमी गति से परिदो के पलायन का असर उत्तर
वैभव तिवारी, नोएडा :
जलवायु परिवर्तन के कारण धीमी गति से परिदो के पलायन का असर उत्तर भारत में पक्षियों के प्रवास पर पड़ा है। एशियन वाटर बर्ड सेंसस (एडब्ल्यूसी) की तरफ से धनौरी वेटलैंड में पक्षियों की गणना करने के बाद रिपोर्ट में इन बातों का जिक्र किया गया है। धनौरी वैटलैंड में परिदों की प्रजाति में कमी देखने को मिली है। हालांकि पक्षियों की संख्या पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक रही है, लेकिन वर्ष 2020 के मुकाबले पिछले दो वर्ष में पक्षियों की संख्या में गिरावट आने के साथ प्रजाति में भी कमी आई है। जिसके पीछे एडब्ल्यूसी की टीम ने अपनी रिपोर्ट में कई पहलुओं का जिक्र किया है। सेंसस टीम की तरफ से वेटलैंड में पक्षियों की गणना में तैयार रिपोर्ट में बताया गया कि वेटलैंड में पानी में अधिक जलकुंभी, वेटलैंड का हिस्सा सिकुड़ने, खरपतवार से ढंकने, पानी के अभाव में वेटलैंड का हिस्सा सूखने, मवेशी पशुओं द्वारा वेटलैंड में घास चरने से वेटलैंड में पहुंचने वाले पक्षियों को अनुकूल माहौल नही मिलता है। जिसके कारण पक्षी कम संख्या में रूकते हैं। एडब्ल्यूसी स्टेट को-आर्डिनेटर टीके राय का कहना है कि जलाशय के खुले हिस्से में पक्षियों की पर्याप्त संख्या है। जलाशय में जलकुंभी सहित अन्य गैर जरूरी चीजों के फैले होने के कारण वेटलैंड में पहुंचने वाले पक्षी नही रूकते हैं। जलवायु परिवर्तन के चलते रूस, साइबेरिया, सेंट्रल एशिया और उत्तर एशिया से आने वाले पक्षियों में भी कमी आई हैं।
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विलुप्त होने की कगार पर पहुंचने वाले ये पक्षी पहुंचे वेट लैंड - विलुप्त होने के कगार पर पहुंचे प्रजाति के पहुंचने वाले पक्षियों में उत्तर एशिया से कामन पोचार्ड भारतीय प्रजाति के ब्लैड नेक्ड स्टार्क, वूली नेकेड स्टार्क और ब्लैक-हेड इब्स सहित स्थानीय प्रजाति के सारस शामिल हैं। वहीं वेटलैंड में मुख्य रूप से उत्तर एशिया से कामन टील, नार्दन सोवलर, नार्दन पिनटेल और गडवाल पक्षी के साथ सेंट्रल एशिया से ग्रेलैग गीज पहुंचे हैं।
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पिछले तीन वर्ष से वेटलैंड में नही बढ़ रही पक्षियों की संख्या और प्रजाति
वेटलैंड में पिछले तीन वर्ष से पक्षियों की संख्या और प्रजाति नही बढ़ी है। हालांकि इस वर्ष 2,459 पक्षी वेटलैंड में पहुंचे हैं। हालांकि 40 प्रजाति में पांच विलुप्त होने के करीब हैं। पिछले वर्ष 2021 में कुल संख्या 1,344 रही थी। जिनकी प्रजाति 48 रही, जिसमें चार विलुप्त होने के करीब पहुंचे प्रजाति शामिल हैं। वहीं वर्ष 2020 में पक्षियों की संख्या 6,227 रही। इस दौरान पक्षियों की प्रजाति 59 रही, जिसमें विलुप्त होने के करीब प्रजाति के 11 पक्षी थे।
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वर्ष - स्थानीय प्रजाति - प्रवासी प्रजाति -
2020 - 21 - 38
2021 - 20 - 28
2022 - 20 - 20
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