संस्कारशाला : जीवन में उन्नति प्राप्त करने की सीढ़ी है सत्संगति
रहीमदास जी कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं उनको बुरी संगति भी बिगाड़ नही
रहीमदास जी कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं, उनको बुरी संगति भी बिगाड़ नहीं पाती, जहरीले सांप चंदन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते। इसी तरह अच्छे लोगों की संगति मनुष्य को कहां से कहां पहुंचा देती है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और इसीलिए उसे मित्रों की आवश्यकता होती है। यह संगति जो उसे मिलती है, वह अच्छी भी हो सकती है और बुरी भी। अच्छी संगति पारस के समान है इसलिए आप अपने बच्चों की संगति पर पूरा ध्यान दें। व्यक्ति जैसी संगति में रहता है, वह वैसा ही बन जाता है। विद्यार्थी काल बहुत नाजुक दौर होता है। इस समय बाल मन चंचल होता है, इसलिए वह अच्छे बुरे का भेद नहीं जानता। हर विद्यार्थी को चाहिए कि वह निष्ठावान, प्रतिभाशाली सच्चे तथा अच्छे विद्यार्थी से ही मित्रता करें और परिश्रमी बने तथा परिश्रमी व्यक्ति को ही अपना मित्र बनाएं। इससे भावी जीवन में बहुत सहायता मिलेगी।
इस पृथ्वी पर जन्म लेने वाला प्रत्येक बालक अबोध होता है। उस पर सर्वप्रथम परिवार की संगति का प्रभाव पड़ता है। बड़ा होकर बालक घर से बाहर निकलकर विद्यालय में ज्ञान प्राप्त करता है और शिक्षकों, मित्रों, आदि की संगति का उस पर बहुत प्रभाव पड़ता है। धीरे-धीरे आयु बढ़ने के साथ मनुष्य जीवन का अर्थ समझने का प्रयास करता है और उसकी संगति के अनुसार ही जीवन के प्रति उसका दृष्टिकोण बनता है। सौभाग्य से प्राप्त हुए जीवन को सार्थक बनाने के लिए सत्य के मार्ग पर चलना आवश्यक है। सत्य के मार्ग पर चलकर ही मनुष्य महान कार्य करता है और मानव-समाज को दिशा देता है। अत: समाज के विकास के लिए सत्संगति महत्वपूर्ण है। हिन्दी में एक कहावत है कि खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है। इस कहावत में मनुष्य की संगति के प्रभाव का उल्लेख किया गया है। मानव जीवन में उन्नति की एकमात्र सीढ़ी सत्संगति है। हमें चाहिए कि हम सत्संगति की पतवार से अपनी जीवन रूपी नाव भवसागर से पार लगाने पर हर संभव प्रयास करें तभी हम ऊंचाई पर पहुंच सकते हैं, समाज में आदर व सम्मान प्राप्त कर सकते हैं।
- मंजु गुप्ता, प्रधानाचार्य, कोठरी इंटरनेशनल स्कूल नोएडा