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संशोधित : हिदी के प्यार ने ऋचा रत्नम को बनाया अधिकारी, यूपीएससी में पाया 274वां स्थान

सुनाक्षी गुप्ता नोएडा संघ लोक सेवा आयोग ने मंगलवार को 2019 के परीक्षा परिणाम घोषित किए जिसमें नोएडा सेक्टर-51 निवासी ऋचा रत्नम ने 274वां स्थान हासिल किया है। खास बात यह है कि स्कूल से स्नातक तक की पढ़ाई उन्होंने अंग्रेजी माध्यम में की लेकिन आज वह जिस मुकाम पर हैं उन्हें वहां मातृभाषा हिदी ने पहुंचाया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 11:53 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 11:53 PM (IST)
संशोधित : हिदी के प्यार ने ऋचा रत्नम को बनाया अधिकारी, यूपीएससी में पाया 274वां स्थान
संशोधित : हिदी के प्यार ने ऋचा रत्नम को बनाया अधिकारी, यूपीएससी में पाया 274वां स्थान

सुनाक्षी गुप्ता, नोएडा

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संघ लोक सेवा आयोग ने मंगलवार को 2019 के परीक्षा परिणाम घोषित किए, जिसमें नोएडा सेक्टर-51 निवासी ऋचा रत्नम ने 274वां स्थान हासिल किया है। खास बात यह है कि स्कूल से स्नातक तक की पढ़ाई उन्होंने अंग्रेजी माध्यम में की, लेकिन आज वह जिस मुकाम पर हैं उन्हें वहां मातृभाषा हिदी ने पहुंचाया है। अधिकारी बनने के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई तो कीं, लेकिन हिदी का दामन कभी नहीं छोड़ा। हिदी के प्रति उनके प्यार ने उन्हें सफलता के शिखर पर पहुंचा दिया। लगातार पांच साल से आइएएस की तैयारी कर रहीं 30 वर्षीय ऋचा ने बताया की जैसे ही परिणाम देखा तो मां की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। वह खुशी से झूम रहीं थी आखिरकार सालों से की हुई मेहनत का फल उनके सामने था। बचपन में देखा था अधिकारी बनने का सपना, यह है सफलता की कहानी

मूलरूप से बिहार के सिवान की ऋचा ने सीबीएसई से हाईस्कूल और इंटर की पढ़ाई की। जयपुर के विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया था, लेकिन 2014 से सिविल सर्विस की तैयार में जुट गई। ऋचा बताती हैं कि बचपन में उन्होंने देखा कि गांव में विधि और व्यवस्था की स्थिति खराब थी। जब वहां के जिलाधिकारी एसएसपी अधिकारी बदले तो गांव में सुधार आया, तब उन्होंने सिविल सर्विस में जाने का निश्चय किया। फुलटाइम कोचिंग करने की बजाय रणनीतिक ढंग से पढ़ाई की। ऑनलाइन पढ़ाई सामग्री का उपयोग किया, रोजाना आठ से 10 घंटे नियमित पढ़ाई करने के साथ ही अखबार भी पढ़ती थीं। वह बताती हैं कि हिदी के प्रति उनका लगाव ज्यादा रहा है, इसलिए उन्होंने मातृभाषा को ही अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए चुना। इतिहास को मुख्य विषय बनाकर परीक्षा दी, जिससे वह सफल हुई। घर में बधाई देने वालों का लगा तांता

ऋचा के पिता डॉ. शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव के पिता छपरा के जय प्रकाश विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं माता शशिकला श्रीवास्तव गृहिणी हैं। पिता ने कहा कि बेटी ने आइएसएस परीक्षा में सफल होकर पूरे परिवार का गर्व ने नाम ऊंचा कर दिया है।


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