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बिल्डरों को नहीं रास आ रही प्राधिकरण की पुर्ननिर्धारण स्कीम

बिल्डरों को राहत देने साथ ही उनसे बकाया रकम वसूलने के लिए प्राधिकरण की भुगतान पुर्ननिर्धारित योजना विफल होती दिख रही है। योजना के समाप्त होने में महज डेढ़ माह से कम का समय बचा है और अब तक केवल एक बिल्डर ने योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया है। प्राधिकरण अधिकारियों को उम्मीद है कि डेढ़ माह में कई और बिल्डर आवेदन कर सकते है। अन्यथा उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। योजना के तहत बिल्डर कुल लंबित राशि के एक हिस्से का भुगतान कर सकता है जो प्राधिकरण में बकाया है। इसे वह डिफाल्टर सूची से बाहर आ जाएगा साथ ही भविष्य में शेष राशि का भुगतान किस्तों में कर सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 08:21 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 06:24 AM (IST)
बिल्डरों को नहीं रास आ रही प्राधिकरण की पुर्ननिर्धारण स्कीम
बिल्डरों को नहीं रास आ रही प्राधिकरण की पुर्ननिर्धारण स्कीम

जागरण संवाददाता, नोएडा : बिल्डरों को राहत देने साथ ही उनसे बकाया रकम वसूलने के लिए प्राधिकरण की भुगतान पुर्ननिर्धारण योजना विफल होती दिख रही है। योजना के समाप्त होने में महज डेढ़ माह से कम का समय बचा है और अब तक केवल एक बिल्डर ने योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया है। प्राधिकरण अधिकारियों को उम्मीद है कि डेढ़ माह में कई और बिल्डर आवेदन कर सकते है। अन्यथा उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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योजना के तहत बिल्डर कुल लंबित राशि के एक हिस्से का भुगतान कर सकता है जो प्राधिकरण का बकाया है। इसे वह डिफाल्टर सूची से बाहर आ जाएगा साथ ही भविष्य में शेष राशि का भुगतान किस्तों में कर सकता है।

योजना को पिछले साल लाया गया था। वर्ष 31 दिसंबर 2018 को इसकी अंतिम तिथि थी। हालांकि उस समय तक किसी भी बिल्डर ने इसके लिए कोई प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया था। इसके बाद नोएडा प्राधिकरण ने एक मार्च को योजना को फिर से शुरू करने का फैसला किया और बिल्डरों को आवेदन करने के लिए 31 मई 2019 की नई समयसीमा कर दी।

अधिकारियों के अनुसार इस योजना का विस्तार करने का निर्णय इसलिए लिया गया ताकि बिल्डर्स आराम से जमीन के बकाया का भुगतान कर सकें और सूचीबद्ध होने या डिफॉल्टरों की श्रेणी से बाहर निकल सकें। बताते चले यदि एक बिल्डर को डिफॉल्टर के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है तो वह वित्तीय संस्थानों से धन या ऋण लेने के लिए पात्र नहीं होता है।

आकड़ों के मुताबिक क्षेत्र में 2,10,200 आवासीय इकाइयां हैं और कुल मिलाकर इन इकाइयों का मूल्य 1,31,460 करोड़ है। योजना के तहत एक बिल्डर कुल भूमि लागत का 10 से 15 प्रतिशत जमा कर सकता है। शेष रकम का पुर्ननिर्धारण किया जा सकता है। एक आवेदन के साथ कुल बकाया रकम का कम से कम 8 प्रतिशत जमा करना होगा, शेष (2 से 7 प्रतिशत) बाद में भुगतान कर सकता था। इसके अलावा जिन बिल्डरों पर 500 करोड़ रुपए से कम है वह 15 प्रतिशत का भुगतान कर योजना का लाभ ले सकते है। जिनका बकाया 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का है उसे दो किस्तों यानी 5 प्रतिशत और 10 प्रतिशत का भुगतान करना होगा। बताते चले प्राधिकरण ने हाल ही में 25 टॉप बिल्डरों की सूची निकाली थी। जिन पर करीब 11 हजार करोड़ रुपए बकाया है।


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