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प्रधानमंत्री से प्रभावित होकर उदित प्लास्टिक से बनाने लगे पेटिग

प्लास्टिक रिसाइकिल करना जहां एक समस्या है। वहीं समाप्त होने में सैकड़ों वर्ष लग जाते हैं। उदित नारायण बैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात से इतने प्रभावित हुए कि पर्यावरण संरक्षण पर काम करने का मन बना बैठे। बचपन से चित्रकारी का शौक था। बस इसको ही हथियार बना लिया। अंतर इतना था कि कैनवास में रंगों की जगह प्लास्टिक के तार चाइनीज लड़िया हेडफोन आदि का इस्तेमाल करने लगे। वह अब तक करीब पांच हजार पेंटिग बना चुके हैं और कई किलो प्लास्टिक वेस्ट का सही इस्तेमाल कर चुके हैं। ग्रेटर नोएडा कार्निवाल में आए उदित नारायण ने बताया कि वह फरीदाबाद के एतमादपुर में रहते हैं। बचपन से चित्रकारी का शौक था। बड़े हुए तो रोजगार की वजह से शौक का त्याग करना पड़ा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 06:48 PM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 06:05 AM (IST)
प्रधानमंत्री से प्रभावित होकर उदित प्लास्टिक से बनाने लगे पेटिग
प्रधानमंत्री से प्रभावित होकर उदित प्लास्टिक से बनाने लगे पेटिग

चंद्रशेखर वर्मा, ग्रेटर नोएडा : प्लास्टिक रिसाइकिल करना जहां एक समस्या है। वहीं उदित नारायण बैंसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात से इतने प्रभावित हुए कि पर्यावरण संरक्षण पर काम करने का मन बना बैठे। बचपन से चित्रकारी का शौक था। बस इसको ही हथियार बना लिया। इतना ही नहीं कैनवास में रंगों की जगह प्लास्टिक के तार, चाइनीज लड़ियां, हेडफोन आदि का इस्तेमाल करने लगे। वह अब तक करीब पांच हजार पेंटिग बना चुके हैं और कई किलो प्लास्टिक वेस्ट का सही इस्तेमाल कर चुके हैं।

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ग्रेटर नोएडा कार्निवाल में आए उदित नारायण ने बताया कि वह फरीदाबाद के एतमादपुर में रहते हैं। बचपन से चित्रकारी का शौक था। बड़े हुए तो रोजगार की वजह से शौक का त्याग करना पड़ा। रोटी की तलाश में टेक्सटाइल डिजाइनर बने। वर्ष 2016 की बात है। स्वच्छता पर आधारित प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम रेडियो पर सुन रहा था। उनकी बातों से इतना प्रभावित हुआ कि पर्यावरण संरक्षण पर कुछ करने का विचार बनाया। ऐसे में दबे हुए शौक को दोबारा से उभारा। लोग प्लास्टिक की बेकार वस्तुएं तार, लड़ियां, हेडफोन, चार्जर, कंप्यूटर लीड आदि को फेंक देते हैं। इनका इस्तेमाल रंगों की जगह करने लगे। उनकी हर पेटिग कुछ नया संदेश देती है। अक्सर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और भ्रूण हत्या जैसे विषयों को चित्रकारी में उभारते हैं। उनकी इस मुहिम में लोग भी जुड़ने लगे हैं। विद्यार्थी और अन्य लोग ऐसी वस्तुओं को न फेंककर घर पर दे जाते हैं। वह अब तक करीब पांच हजार पेटिग बनाकर कई किलो प्लास्टिक वेस्ट का इस्तेमाल कर चुके हैं। इसके साथ ही वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन और कृष्णपाल गुर्जर को भी ऐसी पेंटिग उपहार स्वरूप दे चुके हैं। वर्ष 2018 के सूरजकुंड मेले में हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी से कलानिधि अवार्ड भी उन्हें मिल चुका है। उदित नारायण को एक पेटिग तैयार करने में दो से तीन दिन लगते हैं। पेटिग नहीं होती है खराब :

उदित नारायण का कहना है कि प्लास्टिक से बने होने के कारण यह पेटिग सदियों तक खराब नहीं होगी। उनकी पेटिग दो से लेकर दस हजार रुपये तक में बिक जाती हैं। इनसे मिले पैसों को इस्तेमाल वह फिर से पेटिग बनाने में ही करते हैं।


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