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इनकमिग और आउंटगोइंग बराबर होने से पकड़ में आया ठगी का नेटवर्क

लोकेश चौहान नोएडा दूरसंचार विभाग में असिसटेंट डिविजनल इंजीनियर टेलीकाम (एडीईटी) अभिषेक शुक्ला ने बताया कि आरोपित इंटरनेशनल वाइस काल को निजी सर्वर से लैंड कराकर भारतीय नंबरों पर कालिग करा रहे थे। जबकि इन नंबरों पर दूसरी जगह से कभी भी कोई काल रिसीव नहीं हो रही थी। जांच के दौरान सामने आया है कि आरोपित ने एक ही नंबर से अलग-अलग शहरों में कालिग कराई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 May 2021 08:01 PM (IST)Updated: Wed, 26 May 2021 08:01 PM (IST)
इनकमिग और आउंटगोइंग बराबर होने से पकड़ में आया ठगी का नेटवर्क
इनकमिग और आउंटगोइंग बराबर होने से पकड़ में आया ठगी का नेटवर्क

लोकेश चौहान, नोएडा : दूरसंचार विभाग में असिसटेंट डिविजनल इंजीनियर टेलीकाम (एडीईटी) अभिषेक शुक्ला ने बताया कि आरोपित इंटरनेशनल वाइस काल को निजी सर्वर से लैंड कराकर भारतीय नंबरों पर कालिग करा रहे थे। जबकि इन नंबरों पर दूसरी जगह से कभी भी कोई काल रिसीव नहीं हो रही थी। जांच के दौरान सामने आया है कि आरोपित ने एक ही नंबर से अलग-अलग शहरों में कालिग कराई। बीते 10 मई के बाद जिन नंबरों की जांच की गई, उसमें एक बात सामने आई कि उस नंबर पर जितनी इनकमिग थी, उतनी ही आउटगोइंग भी थी। जबकि ऐसा संभव नहीं है। प्रतिदिन इनकमिग और आउटगोइंग संख्या एक समान होने के कारण शक और गहरा गया। इसके बाद पुलिस के साथ की गई जांच में ठगी का पूरा नेटवर्क सामने आया।

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एडिशनल डीसीपी नोएडा रणविजय सिंह ने बताया कि आरोपित पिछले वर्ष नवंबर से ठगी कर रहे थे। सरकार के साथ दूरसंचार विभाग और टाटा कंपनी को अब तक करोड़ों रुपये की राजस्व हानि पहुंचाई है। आरोपित ने भारत में जिन भी नंबरों पर कालिग कराई है, उन्हें संदिग्ध मानकर पूछताछ की जाएगी। जांच के लिए एक टीम मुंबई भी जाएगी। फर्जी दस्तावेज पर लिया दफ्तर :

कोतवाली प्रभारी अनिल राजपूत ने बताया कि पुष्पेंद्र व ओवैस ने फर्जी पैन कार्ड, आधार व अन्य दस्तावेज तैयार किए थे। वर्ष 2020 में इबाद सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड नाम से आइथम टावर में टाटा का पीआरआई कनेक्शन लिया था, लेकिन चुनाव होने से काम नहीं चल पाया और फर्जी दस्तावेज बनाकर कंपनी विक्रम सिंह के नाम ट्रांसफर कराकर दफ्तर में पीआरआई इंस्टाल कराया। रेंट एग्रीमेंट विकास दुग्गल के फर्जी दस्तावेज बनाकर विक्रम सिंह के नाम कराया था। दफ्तर का सारा काम पुष्पेंद्र देखता था। वहीं आरोपित पवन सेक्टर-80 स्थित एक टेलीकाम कंपनी में कार्यरत है। आरोपित फर्जी दस्तावेज पर सिम दिलाता था। फरार रिषी ने ओवैस को फरार संजय के भाई विक्रम सिंह की आइडी पर सिम बाक्स उपलब्ध कराया था। संजय सर्वे एजेंसी सी-वोटर में कार्यरत है। इस सिम बाक्स को ओवैस ने सिम के द्वारा कालिग कराने के उद्देश्य से लिया था। ओवैस इस सेटअप की सभी गतिविधियों पर मुरादाबाद स्थित घर में लगे कैमरे के माध्यम से नजर रखता था। ठगी के पैसे से गाजियाबाद, दिल्ली में खरीदा घर :

ओवैस ने ठगी के पैसे से गाजियाबाद में करीब एक करोड़ रुपये की कीमत का फ्लैट खरीदा है। दिल्ली के ओखला में 22 लाख में 650 गज का फ्लैट खरीद रखा है। इसके साथ ही आरोपित के पास से करोड़ों रुपये की अन्य संपति भी मिली है। अन्य लोगों की संपति की जानकारी जुटाई जा रही है।


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