सूर्य ग्रहण : 900 साल बाद दिखेगा अनोखा नजारा, कम हो सकता है कोरोना, जानें अपनी राशि पर प्रभाव
महर्षि पाणिनि वेद वेदांग गुरुकुल के संस्थापक व ज्योतिषाचार्य रविकांत दीक्षित ने बताया कि इस सूर्य ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव मिथुन व कर्क राशि वालों पर पड़ेगा।
ग्रेटर नोएडा [चंद्रशेखर वर्मा]। सूर्य ग्रहण में इस बार पांच ग्रह एक साथ वक्रीय हो रहे हैं। इससे पहले सूर्य ग्रहण में एक या दो ग्रह एक साथ वक्रीय होते थे। ऐसा 900 वर्ष बाद हो रहा है। इसको चूड़ामणी ग्रहण के नाम से भी जाना जाएगा। ज्योतिषाचार्य व पंडितों का दावा है कि सूर्य ग्रहण के बाद से कोरोना का प्रभाव कम होना शुरू हो जाएगा। अक्टूबर-नवंबर में कोरोना की समाप्ती हो जाएगी। वहीं, देश के लिए अधिक हितकर नहीं है। इस सूर्य ग्रहण का प्रभाव छह महीने तक रहेगा।
मिथुन और कर्क राशि वाले पर पड़ेगा प्रभाव
महर्षि पाणिनि वेद वेदांग गुरुकुल के संस्थापक व ज्योतिषाचार्य रविकांत दीक्षित ने बताया कि इस सूर्य ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव मिथुन व कर्क राशि वालों पर पड़ेगा। उनको अधिक सावधानी से रहने की जरूरत है। बृहस्पति व शुक्र मार्गीय हो जाएंगे। एक पक्ष में दो ग्रहों के साथ चलने से देश, वरिष्ठ राजनेताओं व सेना के लिए भी हितकर नहीं है। स्वास्थ्य की हानि हो सकती है। इस बार प्राकृतिक आपदाएं भी आएंगी। इस बार के सूर्य ग्रहण में शनि, शुक्र, केतु, बृहस्पति और राहु एक साथ वक्रीय हो रहे हैं। यह 900 वर्ष बाद हो रहा है। इससे कोरोना का प्रभाव धीरे-धीरे कम होना शुरू हो जाएगा। वहीं, अक्टूबर व नवंबर में खत्म होने की संभावना है।
धीरे-धीरे कम होगा कोरोना का प्रभाव
पंडित नरेंद्र शास्त्री ने बताया कि यह सूर्य ग्रहण शुभ नहीं है। हालांकि, कोरोना का प्रभाव धीरे-धीरे कम होना शुरू हो जाएगा। मेष, मकर, सिंह, कन्या और मीन राशि के लिए यह सूर्य ग्रहण उत्तम है। वहीं, वृश्चिक, कर्क, मिथुन और कुंभ के लिए हानिकारक है। बाकी राशियो कें लिए मध्यम है। इस सर्य ग्रहण से महंगाई बढ़ेगी।
तीन घंटे से ज्यादा रहेगा असर
पंडित वीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि सूर्य ग्रहण की अवधि तीन घंटे 47 मिनट की होगी। गर्भवती महिलाओं को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। बालक, बुजुर्ग, असहाय स्त्री को छोड़कर अन्य को भोजन का त्याग करना चाहिए। इससे कोरोना का असर कम होना शुरू होगा। अगस्त में संक्रमण के मामले और घटेंगे। शुरू प्राकृतिक आपदाओं की आंशका है। देशाें के बीच युद्ध की स्थिति बन सकती है। राजनीतिक परिवर्तन, हिंसक घटनाओं में वृद्धि आर्थिक मंदी बढ़ने के संकेत है।