दूसरों की खातिर अपनों से दूर दंपती और पिता-पुत्र, ड्यूटी पर रहकर पूरा कर रहे फर्ज
कोरोना वायरस महामारी के बीच अस्पतालों में और लैब में अपनी सेवा दे रहे लोग अपने से दूर हो गए हैं। पढ़ें ऐसी ही एक कहानी
नोएडा, मोहम्मद बिलाल। कोरोना संक्रमण की आंच अपनों पर न आए इसलिए लॉकडाउन के बाद से कोई दंपती चार वर्षीय बेटी से दूर है तो कोई पिता-पुत्र, पत्नी और मां से दूर है। इन योद्धाओं का हौसला टस से मस नहीं हुआ है। यह प्रतिदिन 12-12 घंटे ड्यूटी करने के बाद रिश्तों को भी बखूबी निभा रहे हैं।
चार वर्षीय बेटी से दूर दंपती
सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल में लैब टेक्नीशियन सूर्यकांत दीक्षित चाइल्ड पीजीआइ में कोरोना संदिग्धों के नमूने लेने का काम करते हैं। वहीं बायोलॉजिस्ट पत्नी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल (एनआइबी) में तैनात है। सूर्यकांत बताते हैं कि लॉकडाउन के दूसरे दिन ही चार वर्षीय बेटी और 50 वर्षीय मां को मुजफ्फरनगर स्थित गांव भेज दिया था। वहीं पत्नी यशोधरा बताती हैं कि इतने दिनों कभी भी बेटी से दूर नहीं रही। इन दिनों ड्यूटी के बाद दूरी कम करने के लिए उससे वाट्सएप वीडियो कॉल पर बात करती हूं। बेटी घर आने की जिद करती है, लेकिन उसे समझाती हूं कि जल्द ही आएंगे।
बेटा ले रहा नमूने, तो पिता हॉट स्पॉट में तैनात: लैब टेक्नीशियन मोहित कसाना चाइल्ड पीजीआइ में संदिग्धों के नमूने लेने का काम करते हैं। वहीं हेड कांस्टेबल पिता नरेंद्र कसाना सेक्टर-20 कोतवाली क्षेत्र में तैनात है। वह हापुड़ के निजामपुर के रहने वाले हैं। लॉकडाउन के बाद से एक बार भी पिता-पुत्र घर नहीं जा पाए हैं। पूछने पर मोहित कसाना बताते हैं कि मौजूदा वक्त में परिवार से ज्यादा उनकी जरूरत मरीजों को है, इसलिए इस सेवा में टिके हुए हैं। वहीं सेक्टर-8 स्थित हॉट स्पॉट एरिया में तैनात नरेंद्र कसाना बताते है कि उनकी ड्यूटी लोगों को लॉकडाउन का पालन कराने में लगाई गई है। मौजूद वक्त में घरवालों से बढ़कर ड्यूटी है। इसलिए पत्नी से दूर हैं। जानकारी के लिए बता दें कि देश में लगातार कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है।